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________________ प्रो. सागरमल जैन 215 भाई, मंत्रविद्या के पारगामी नैमित्तिक भद्रबाहु ही होना चाहिए।55 मुनिश्री पुण्यविजयजी ने नियुक्तियों के कर्ता नैमित्तिक भद्रबाहु ही थे, यह कल्पना निम्न तर्कों के आधार पर की है66 -- 1. आवश्यकनियुक्ति की गाथा 1252 से 1270 तक में गंधर्व नागदत्त का कथानक आया है। इसमें नागदत्त के द्वारा सर्प के विष उतारने की क्रिया का वर्णन है।57 उवसग्गहर (उपसर्गहर) में भी सर्प के विष उतारने की चर्चा है। अतः दोनों के कर्ता एक ही हैं और वे मन्त्र-तन्त्र में आस्था रखते थे। 2. पुनः नैमित्तिक भद्रबाहु ही नियुक्तियों के कर्ता होने चाहिए, इसका एक आधार यह भी है कि उन्होंने अपनी प्रतिज्ञागाथा में सूर्यप्रज्ञप्ति पर नियुक्ति लिखने की प्रतिज्ञा की थी। ऐसा साहस कोई ज्योतिष का विद्वान् ही कर सकता था। इसके अतिरिक्त आचारांगनियुक्ति में तो स्पष्ट रूप से निमित्त विद्या का निर्देश भी हुआ है।59 अतः मुनिश्री पुण्यविजयजी नियुक्ति के कर्ता के रूप में नैमित्तिक भद्रबाहु को स्वीकार करते हैं। यदि हम नियुक्तिकार के रूप में नैमित्तिक भद्रबाहु को स्वीकार करते हैं तो हमें यह भी मानना होगा कि नियुक्तियाँ विक्रम की छठीं सदी की रचनाएँ है, क्योंकि वाराहमिहिर ने अपने ग्रन्थ के अन्त में शक संवत् 427 अर्थात् विक्रम संवत 566 का उल्लेख किया है।०० नैमित्तिक भद्रबाहु बाराहमिहिर के भाई थे, अतः वे उनके समकालीन है। ऐसी स्थिति में यही मानना होगा कि नियुक्तियों का रचनाकाल भी विक्रम की छठीं शताब्दी का उत्तरार्द्ध है। यदि हम उपर्युक्त आधारों पर नियुक्तियों को विक्रम की छठीं सदी में हुए नैमित्तिक भद्रबाहु की कृति मानते हैं, तो भी हमारे सामने कुछ प्रश्न उपस्थित होते हैं -- 1. सर्वप्रथम तो यह कि पाक्षिक सूत्र एवं नन्दीसूत्र में नियुक्तियों के अस्तित्व का स्पष्ट उल्लेख है -- "स सुत्ते सअत्थे सगंधे सनिज्जुतिए ससंगहणिए" - (पाक्षिकसूत्र, पृ.80) "संखेज्जाओ निज्जुत्तीओ संखेज्जा संगहणीओ" . - (नन्दीसूत्र, सूत्र सं.46) इतना निश्चित है कि ये दोनों ग्रन्थ विक्रम की छठवीं सदी के पूर्व निर्मित हो चुके थे। यदि नियुक्तियाँ छठीं सदी उत्तरार्द्ध की रचना है तो फिर विक्रम की पाँचवी शती के उत्तरार्द्ध या छठीं शती के पूर्वार्द्ध के ग्रन्थों में छठी सदी के उत्तरार्द्ध में रचित नियुक्तियों का उल्लेख कैसे संभव है ? इस सम्बन्ध में मुनिश्री पुण्यविजय जी ने तर्क दिया है कि नन्दीसूत्र में जो नियुक्तियों का उल्लेख है, वह गोविन्द-नियुक्ति आदि को ध्यान में रखकर किया गया होगा। यह सत्य है कि गोविन्दनियुक्ति एक प्राचीन रचना है क्योंकि निशीथचूर्णि में गोविन्द नियुक्ति के उल्लेख के साथ-साथ गोविन्दनियुक्ति की उत्पत्ति की कथा भी दी गई है। 2 गोविन्दनियुक्ति के For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.525018
Book TitleSramana 1994 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1994
Total Pages148
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size8 MB
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