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प्रधान सम्पादक प्रो० सागरमल जैन
सम्पादक डा० अशोक कुमार सिंह
सह-सम्पादक डा० शिवप्रसाद
वर्ष ४५ अप्रैल-जून, १९९४
अंक ४-६ प्रस्तुत अङ्क में प्रो० सागरमल जैन के निम्न आलेख प्रकाशित
किये जा रहे हैं१. भारतीय संस्कृति का समन्वित स्वरूप
१२९-१३४ २. पर्यावरण के प्रदूषण की समस्या और जैनधर्म १३५-१४३ ३ जैनधर्म और सामाजिक समता
१४४-१६१ ४ जैन आगमों में मूल्यात्मक शिक्षा और वर्तमान सन्दर्भ १६२-१७२ ५. खजुराहो की कला और जैनाचार्यों की समन्वयात्मक एवं सहिष्णु दृष्टि
१७३ १७८ ६ महापण्डित राहुल सांकृत्यायन के जैनधर्म सम्बन्धी 'मन्तव्यों की समालोचना
१७९-१८४ ७. ऋग्वेद में अहंत और ऋषभवाची ऋचायें : एक अध्ययन
१८५-२०२ ८ नियुक्ति साहित्य : एक पुनचिन्तन
२०३-२३३ ९ जैन एवं बौद्ध पारिभाषिक शब्दों के अर्थ-
निर्धारण और अनुवाद की समस्या
२३४-२३८ १० जैन आगमों में हुआ भाषिक स्वरूप परिवर्तन : एक विमर्श
२३९-२५३ ११. भगवान महावीर की निर्वाणतिथि पर पुनर्विचार २५४-२६८ १२ जैन जगत् वार्षिक शुल्क
एक प्रति चालीस रुपये
दम रुपये
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यह आवश्यक नहीं कि लेखक के विचारों से सम्पादक अथवा संस्थान सहमत हों।
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