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________________ आगम, अहिंसा-समता एवं प्राकृत संस्थान, उदयपुर उदयपुर वर्षावास की अवधि सन् 1981 में समता विभूति आचार्य श्री नानालाल जी म.सा. की प्रेरणा से उदयपुर श्री संघ एवं मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर के जैनविद्या से जुड़े विद्वानों के प्रयास की परिणति स्वरूप यह संस्थान अखिल भारतीय साधुमार्गी जैनसंघ, बीकानेर की प्रमुख प्रवृत्तियों में से एक है। इसका उददेश्य अहिंसा एवं समता दर्शन की पृष्ठभूमि में जैन साहित्य के अध्ययन, शिक्षण एवं अनुसन्धान की प्रवृत्ति को विकसित करना, जैनविद्या के विद्वान तैयार करना, जैन साहित्य को आधुनिक शैली में सम्पादित एवं अनुवादित कर प्रकाशित करना है। यह संस्थान, जैन विषयों पर शोध करने वाले छात्रों को सुविधायें प्रदान करता है और समय-समय पर जैनविद्या पर मगोष्ठिया, व्याख्यान, समारोह आदि आयोजित करता है। संस्थान का संचालन जैन समाज की प्रतिष्ठित विभूतियों द्वारा हो रहा है। सर्वश्री गुमानमल चोरडिया (अध्यक्ष), जयपुर, श्री सोनलाल सिपानी, बंगलौर, श्री अनूपचन्द सेठिया (उपाध्यक्ष ), बीकानेर, श्री सरदारमल कांकरिया (महामंत्री), कलकत्ता और श्री उमरावमल ढड्ढा (कोषाध्यक्ष ), जयपुर प्रबन्ध समिति का संचालन कर रहे हैं। संस्थान की अकादमीय गतिविधिया, संस्थान के शैक्षणिक परामर्शदाता प्रो. कोमलचन्द सोगानी, जयपुर, मानद निदेशक प्रो. सागरमल जैन (निदेशक), पार्श्वनाथ शोधपीठ, वाराणसी, मानद सह-निदेशिका डॉ. सुषमा संघवी, उदयपुर के कुशल निर्देशन में संचालित हो रही है। संस्थान एक समृद्ध पुस्तकालय के निर्माण की ओर प्रयासरत है। वर्तमान में संस्थान के पुस्तकालय में 3000 प्रकाशित पुस्तकें और 1500 हस्तलिखित पाण्डुलिपियाँ हैं। स्थापना के प्रारम्भिक वर्षों (1982-87) में संस्थान द्वारा विभिन्न आगम ग्रन्थों-- आचारांगसूत्र, भगवतीसूत्र, ज्ञाताधर्मकथा, अन्तकृद्दशासूत्र, उत्तराध्ययनसूत्र, कल्पसूत्र का मूलानुसारी अनुवाद, पारिभाषिक शब्दों का Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525018
Book TitleSramana 1994 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1994
Total Pages148
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size8 MB
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