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1. बोधिचर्यावतार, 8/99
2. वही, 8/116
3. वही, 8/109
4. अंगुत्तरनिकाय, 1/5
5. थेरगाथा, 941-942
6. बौद्ध दर्शन तथा अन्य भारतीय दर्शन, पृ. 609
7. गीता, 3 / 13
8. वही, 3 / 12
9. वही, 5 / 25, 12/4
10. वही, 3/18
11. वही, 3 / 20
12. वही, 4/8
13. शिक्षासमुच्चय,
सन्दर्भ-ग्रन्थ
अनुदित धर्मदूत, मई 1941
महायान सम्प्रदाय की समन्वयात्मक दृष्टि
प्रो. सागरमल जैन का विश्वधर्म सम्मेलन के लिए शिकागो प्रस्थान
पार्श्वनाथ शोधपीठ, वाराणसी के निदेशक डॉ. सागरमल जैन ने स्थानकवासी जैन कान्फ्रेंस, बम्बई की ओर से 'पार्लियामेन्ट आफ वर्ल्ड रिलीजन्स' में भाग लेने हेतु दिनांक २५ अगस्त, १९६३ को शिकागो हेतु प्रस्थान किया ।
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आप शिकागो में आयोजित 'विश्वधर्म संसद में विश्व धर्मों की बन्धुता पर जैनधर्म का दृष्टिकोण प्रस्तुत करेंगे। साथ ही 'विश्व समस्याओं के समाधान में जैनों के अवदान' विषय पर भी एक व्याख्यान देंगे। इसके अतिरिक्त आप न्यूयार्क, वाशिंगटन, सेन फ्रांसिस्को, लास - ऐन्जिल्स आदि नगरों की यात्राएँ कर वहाँ भी जैनधर्म और दर्शन के विविध विषयों पर अपने व्याख्यान देंगे।
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