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________________ सार्धपूर्णिमागच्छ का इतिहास उक्त अभिलेखीय साक्ष्यों के आधार पर इस गच्छ के कुछ मुनिजनों के पूर्वापर सम्बन्ध स्थापित होते हैं। उनका विवरण इस प्रकार है : 1. धर्मचन्द्रसरि और उनके पटधर धर्मतिलकसरि धर्मचन्द्रसूरि की प्रेरणा से प्रतिष्ठापित 1 प्रतिमा मिली है। जिस पर वि.सं. 1421 का लेख उत्कीर्ण है। इनके पटधर धर्मतिलकसरि का 9 जिनप्रतिमाओं पर नाम मिलता है। ये प्रतिमा वि.सं. 1424 से वि.सं. 1450 के मध्य प्रतिष्ठापित की गयी थीं। इसके अतिरिक्त एक ऐसी भी प्रतिमा मिली हैं, जिस पर प्रतिष्ठावर्ष नहीं दिया गया है। 2. धर्मतिलकसूरि के पट्टधर हीराणंदसूरि वि.सं. 1483 और 1502 में प्रतिष्ठापित 3 प्रतिमाओं पर इनका नाम मिलता है। 3. हीराणंदसूरि के पट्टधर देवचन्द्रसूरि इनकी प्रेरणा से प्रतिष्ठापित 2 प्रतिमायें [वि.सं. 1516 और वि.सं. 15181 मिली हैं। 4. अभयचन्द्रसूरि और उनके पट्टधर रामचन्द्रसूरि अभयचन्द्रसूरि की प्रेरणा से प्रतिष्ठापित 3 प्रतिमाओं [वि.सं. 1424, 1458 और 1466] का उल्लेख मिलता है। इनके पट्टधर रामचन्द्रसूरि का नाम वि.सं. 1493 के प्रतिमालेख में मिलता है। 5. रामचन्द्रसूरि के पट्टधर पुण्यचन्द्रसूरि इनकी प्रेरणा से प्रतिष्ठापित 5 प्रतिमायें मिली हैं जिन पर वि.सं.1504, 1507, 1508, 1520 और 1524 के लेख उत्कीर्ण हैं। 6. रामचन्द्रसूरि के शिष्य मुनि चन्द्रसूरि आबू स्थित लूणवसही की एक देवकुलिका पर उत्कीर्ण वि.सं. 1486 के लेख में मुनिचन्द्रसूरि का नाम मिलता है। 7. रामचन्द्रसूरि के शिष्य चन्द्रसूरि पद्मप्रभ की वि.सं. 1521 में प्रतिष्ठापित प्रतिमा पर चन्द्रसूरि का नाम मिलता है। 8. पुण्यचन्द्रसूरि के पट्टधर विजयचन्द्रसूरि वि.सं. 1513, 1522 और 1528 में प्रतिष्ठापित 3 प्रतिमाओं पर विजयचन्दसूरि का नाम मिलता है। 9. विजयचन्द्रसूरि के पट्टधर उदयचन्द्रसूरि इनकी प्रेरणा से प्रतिष्ठापित 2 प्रतिमायें मिली हैं, जो वि.सं. 1550 और 1553 की हैं। 10. उदयचन्द्रसूरि के पट्टधर मुनिराजसूरि वि.सं. 1572 में प्रतिष्ठापित श्रेयासनाथ की धातुप्रतिमा पर इनका नाम मिलता है। 11. उदयचन्द्रसूरि के पट्टधर मुनिचन्द्रसूरि वि.सं. 1575 और 1579 में प्रतिष्ठापित 2 जिन प्रतिमाओं पर इनका नाम मिलता है। 12. मुनिचन्द्रसूरि के पट्टधर विद्याचन्द्रसूरि इनकी प्रेरणा से प्रतिष्ठापित 3 जिन प्रतिमाओं का उल्लेख पीछे आ चुका है, ये वि.सं. 1596, 1610 और 1624 की हैं। उक्त साक्ष्यों के आधार पर इस गच्छ के मुनिजनों की गुरु-परम्परा की दो तालिकायें Anita Jain Education International For Private & Persin Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525013
Book TitleSramana 1993 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1993
Total Pages66
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size3 MB
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