________________
पार्श्वनाथ शोधपीठ परिसर
१० अक्टूबर, निदेशक द्वारा बीकानेर में पूज्य यति श्री जिनचन्द्र जी के पावन सानिध्य में आयोजित सभा में समाधिमरण पर व्याख्यान |
१२ - १४ अक्टूबर, जैनविश्वभारती (डीम्ड यूनिवर्सिटी) लाडनू के जैनविद्या विभाग द्वारा 'जैन दर्शन का क्रमिक विकास' विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रो. सागरमल जैन ने 'गुणस्थान सिद्धान्त' का उद्भव एवं विकास विषय पर शोध-पत्र प्रस्तुत किया ।
इस सेमिनार में शोधपीठ के प्रवक्ता, डा. अशोक कुमार सिंह ने जैन कर्म सिद्धान्त का उद्भव एवं विकास (प्राचीन जैन साहित्य के सन्दर्भ में) शीर्षक शोध-पत्र प्रस्तुत किया ।
१५ अक्टूबर, आई. सी. पी. आर. के तत्त्वावधान में प्रो. के. एस. मूर्ति पर दिल्ली में आयोजित सेमिनार में प्रो. सागरमल जैन ने 'प्रो. मूर्तिज फिलासफी आव पीस एण्ड नान - वायलेंस' विषय पर पत्र प्रस्तुत किया । १६-१७ अक्टूबर, दिल्ली में आयोजित 'एफ्रो-एशियन फिलासाफिकल कान्फ्रेंस' में प्रो. जैन ने 'कन्सेप्ट आव पीस' शीर्षक शोध-पत्र प्रस्तुत किया ।
६-७ नवम्बर, प्राकृत एवं अहिंसा शोध संस्थान वैशाली द्वारा आयोजित द्विदिवसीय संगोष्ठी में प्रो. सागरमल जैन ने 'जटासिंह नन्दी एवं वरांगचरित' शीर्षक शोध-पत्र प्रस्तुत किया ।
इसी संगोष्ठी में डॉ. अशोक कुमार सिंह ने जैन कर्मसिद्धान्त का उद्भव एवं विकास (स्थानांग, समवायांग एवं भगवती के विशेष सन्दर्भ में) पत्र प्रस्तुत किया ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org