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________________ श्रमण, अक्टूबर-दिसम्बर, १९८२ द्वितीय संस्करण का विषय क्षेत्र अधिक व्यापक हो गया है। इसमें भारत में हो रहे शोध प्रबन्धों की संख्या में स्वाभाविक रूप से वृद्धि होने के साथ-साथ, देश एवं विदेश में इस क्षेत्र में सम्पन्न शोधों के अतिरिक्त हो रहे कार्यों की भी सूची दी गयी है। इसमें मात्र शोध-प्रबन्धों की ही सूचना नहीं दी गयी है। अपितु जैन विद्या के क्षेत्र में कार्य कर रहे स्वतन्त्र संस्थानों, विश्वविद्यालयों में स्वतन्त्र प्राकृत एवं जैन विद्या विभागों की भी सूची दी गयी है। साथ ही शोध निर्देशकों की अलग सूची भी दी गई है। समाधान की ज्योत, समाधान कर्ता-- मुनिजयानन्द विजयजी, प्रकाशक-- श्री श्वेताम्बर जैनसंघ, धाणसा, जालौर ( राजस्थान), वि.सं. 2047, मूल्य--- प्रस्तत कति प्रश्नोत्तर के रूप में है। इसमें जैन धर्म और जैन आचार से सम्बन्धित 326 प्रश्नों के उत्तर दिये गए हैं। जैन आचार को सम्यक रूप से समझने के लिए यह कृति निश्चय ही उपयोगी है। प्रश्नोत्तर शैली में रचित होने के कारण यह सुबोध भी है। कृति की विशेषता यह है कि इसमें प्रत्येक प्रश्न के उत्तर में आगम ग्रन्थों का प्रमाण दिया है। सन्दर्भो में कहीं-कहीं पृष्ठ, क्रमांक या सूत्रक्रमांक आदि का निर्देश न होने से उन लोगों को कठिनाई हो सकती है, जो इसके मूल स्रोत को प्रमाणिक रूप से जानना चाहते हैं। कृति निश्चय ही पठनीय व संग्रहणीय है। सम्बक जिनेन्द्र गुण गंगा, रचयिता-- मुनिराजश्री सम्यारत्नविजयजी म.सा., प्रकाशक-- घेवरचन्द हिम्मत मल तिलेसरा, अबिल खाता की सेरी, आहोर (जालौर, राजस्थान) 307029, सन् 1991 प्रस्तुत कृति में मुख्य रूप से सम्यग्रत्नविजयजी के द्वारा रचित भक्ति गीतों व शताधिक स्तवनों का संकलन है। सभी स्तवन आध्यात्मिक साधना के उपदेशों से युक्त हैं, फिर भी अनेक स्तवनों में कवि ने अपने आराध्य के सम्मुख अपने हृदय को खोलकर रख दिया है और Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525012
Book TitleSramana 1992 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1992
Total Pages82
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size4 MB
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