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________________ 60 श्रमण, अक्टूबर-दिसम्बर, १९८२ पुण्यप्रभसूरि विद्याप्रभसूरि ललितप्रभसूरि विनयप्रभसूरि महिमाप्रभसूरि भावप्रभसूरि ___ पूर्णिमापक्षीय प्रधानशाखा के मुनिजनों द्वारा प्रतिष्ठापित जिनप्रतिमायें भी प्राप्त हुई हैं जो वि.सं. 1512 से वि.सं. 1768 तक की हैं। इनका विवरण इस प्रकार है : जयसिंहसूरि के पट्टधर जयप्रभसूरि इनके द्वारा प्रतिष्ठापित 9 प्रतिमायें मिली हैं। इनका विवरण इस प्रकार है :वि.सं. 1512 माघ सुदि 5 सोमवार जैनधातुप्रतिमालेखसंग्रह, भाग 2 संपा. बुद्धिसागरसूरि, लेखांक 963 वि.सं. 1519 कान्तिक वदि 5 शुक्रवार वही, लेखांक 743 वि.सं. 1519 कात्तिक वदि 5 शुक्रवार प्राचीनलेखसंग्रह संग्राहक विजयधर्मसूरि, लेखांक 329 वि.सं. 1519 माघ सुदि 5 सोमवार श्रीप्रतिमालेखसंग्रह संपा. दौलतसिंहलोढा, लेखांक 261 वि.सं. 1521 माघ पूर्णिमा गुरुवार मुनि बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, भाग 1, लेखांक 578 वि.सं. 1525 वैशाख वदि 11 रविवार वही, भाग 1, लेखांक 1492 वि.सं. 1525 माघ वदि 5 प्रतिष्ठालेखसंग्रह संपा. विनयसागर, लेखांक 667 वि.सं. 1528 कात्तिक सुदि 12 शुक्रवार जैनलेखसंग्रह भाग 3, संपा. पुरनचन्द नाहर, लेखांक 2349 वि.सं. 1531 फाल्गुन सुदि 8 सोमवार राधनपुरप्रतिमालेखसंग्रह संपा. मुनि विशालविजय, लेखांक 274 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525012
Book TitleSramana 1992 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1992
Total Pages82
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size4 MB
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