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________________ सम्पादक डा० प्रशोक कुमार सिंह वर्ष ४३ प्रधान सम्पादक प्रो० सागरमल जैन अक्टूबर-दिसम्बर, १९९२ प्रस्तुत श्रंक में ० सागरमल जैन १. जैनधर्म और आधुनिक विज्ञान - प्रो० २. प्रागैतिहासिक भारत में सामाजिक मूल्य और परम्पराएँ -डा० जगदीशचन्द्र जैन १ ३. जैन एवं बौद्ध दर्शन में प्रमाण- विवेचन ४. क्षेत्रज्ञ शब्द का स्वीकार्य प्राचीनतम अर्धमागधी रूप ५. अष्टपाहुड़ की प्राचीन टीकाएँ ८. पुस्तक समीक्षा ९. १०. शोक - समाचार सह-सम्पादक डा० शिव प्रसा अंक १०-१ --डा० महेन्द्रकुमार जैन 'मनुज' ४५ ६. पूर्णिमागच्छ - प्रधान शाखा अपरनाम ढूंढेरिया शाखा का संक्षिप्त इतिहास - डा० शिवप्रसाद ४९ पार्श्वनाथ शोधपीठ परिसर ७. जैन दार्शनिक साहित्य में ईश्वरवाद को समालोचना - श्रीमती मंजुला भट्टाचार्या ६७ ७१ ७७ Jain Education International -डा० धर्मचन्द्र जैन २९ डा० के० आर० चन्द्र ४१ For Private & Personal Use Only वार्षिक शुल्क चालीस रुपये एक प्रति दस रुपये यह आवश्यक नहीं कि लेखक के विचारों से सम्पादक अथवा संस्थान सहमत हों । ७८ www.jainelibrary.org
SR No.525012
Book TitleSramana 1992 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1992
Total Pages82
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size4 MB
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