________________
"तालिका 4. साहित्यिक और अभिलेखीय साक्ष्यों के आधार पर निर्मित पाणेमागच्छीय गुरु-शिष्य परम्परा
सर्वदेवसार
Jain Education International
विजयसिंहसूरि
चन्द्रप्रभसूरि । वि.सं. 1149/59 पूर्णिमागच्छ के प्रवर्तक ]
धमघोषसरि
समन्तभद्रसरि
देवसारे
समुद्रघोषसूरि
यशोघोषसूरि
For Private & Personal Use Only
वक्रेश्वरसूरि शिवप्रभसूरि
भद्रेश्वर सारे मुनिप्रभसूरि
विमलंगणि [वि.स.11811 दर्शनशादेवत्तिा देवभद्रसार [वि.सं.122 दर्शनशुद्धिवृहदवृत्ति जिनदत्तसूरि
तिलकप्रभसूरि वीरप्रभसूरि
मानरलसार
हेमप्रभसरि वि.सं.12251 रवि.स.1243] अममस्वामिचरितमहाकाव्य प्रश्नोत्तररल
त्रिदशप्रभसूरि
तिलकाचार्य
सर्वदेवसारे
अजितप्रभसारे वि.स.1007 शांतिनाथचारत के कता
[वि.स.1261 प्रत्यकबद्रचारता धर्मप्रभारे अभयप्रभसूरि रत्नप्रभसूरि कमलप्रभसरि [वि.स.1862 पुण्डराकचारत के रचनाकार
www.jainelibrary.org
शांतिभदरि भुवनतिलकसूरि रत्नप्रभसूरि हेमतिलकसारे हेमरलसारे
सोमप्रभमारे रत्नगरपरि चन्दामहरि देवसिंहमारे पद्मातेलकसरि श्रीतिलकसूरि
हेमप्रभसूरि