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________________ शिव प्रसाद वि.सं. 1527 वि.सं. 1527 वि.सं. 1529 वि.सं. 1530 वि.सं. 1531 वि.सं. 1532 जै. धा. प्र. ले. सं., भाग 1, लेखांक 807 प्रा.ले.सं., लेखांक 412 प्र. ले.सं., लेखांक 717 एवं लेखांक जै. ले. सं., भाग 2, प्रा.ले.सं., पौष वदि 2 बुधवार लेखांक कार्तिक सुदि 12 शनिवार जै. धा. प्र. ले. सं., भाग 1, लेखांक चैत्र वदि 2 गुरुवार लेखांक प्र. ले.सं., एवं वि.सं. 1545 वि.सं. 1547 वि. सं. 1548 वैशाख वदि 10 वैशाख वदि 11 बुधवार माघ सुदि 6 सोमवार श्रीसूरि [वि. सं. 1486] 1 प्रतिमालेख वि.सं. 1532 वि.सं. 1533 साधुसुन्दरसूरि के पट्टधर देवसुन्दरसूरि कार्तिक वदि 1 सोमवार वैशाख सुदि 4 बुधवार . जै. ले. सं., भाग 1, जै. धा. प्र. ले.सं., भाग 2, प्रा. ले.सं., Jain Education International लेखांक लेखांक लेखांक : लेखांक 217 इनके द्वारा प्रतिष्ठापित 3 प्रतिमायें मिली हैं जिनका विवरण इस प्रकार हैं फाल्गुन वदि 2 मंगलवार श्री प्रतिमा ले. सं., प्रा.ले.सं., कार्तिक सुदि 12 शुक्रवार रा. प्र.ले.सं., माघ सुदि. 10 गुरुवार लेखांक 495 लेखांक 310 उक्त प्रतिमालेखीय साक्ष्यों के आधार पर पूर्णिमागच्छीय गुरु-परम्परा की एक संक्षिप्त तालिका इस प्रकार बनायी जा सकती है : : तालिका 3 ? J मुनिशेखरसूरि साधुरत्नसूर [वि.सं. 1485-1519123 प्रतिमालेख' साधुसुन्दरसूरि [वि. सं. 1506-15331 37 प्रतिमालेख 1281 427 47 740 देवसुन्दरसूरि For Private & Personal वि.सं. 1545-15481 3 प्रतिमालेख 561 1039 452 45 www.jainelibrary.org
SR No.525011
Book TitleSramana 1992 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1992
Total Pages82
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size4 MB
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