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________________ 38 पूर्णिमागच्छीय मुनिजनों द्वारा प्रतिष्ठापित 400 से अधिक जिनप्रतिमायें आज मिलती इन पर वि. सं. 1368 से वि. सं. 1774 तक के लेख उत्कीर्ण हैं। इन प्रतिमालेखों में इस के विभिन्न मुनिजनों के नाम मिलते हैं, परन्तु उनमें से कुछ के पूर्वापर सम्बन्ध ही स्थापित हो । पाते हैं। इनका विवरण इस प्रकार है : सर्वाणंदसूर इनके द्वारा प्रतिष्ठापित तीन प्रतिमायें मिली हैं जिनपर वि. सं. 1480 से वि.सं. 141 तक के लेख उत्कीर्ण हैं। इनका विवरण इस प्रकार है : वि.सं. 1480 वि. सं. 1481 वि.सं. 1485 ज्येष्ठ सुदि 7 मंगलवार वैशाख वदि 12 रविवार ज्येष्ठ सुदि 7 मंगलवार प्र.ले.सं. बी. जै. ले.सं. जै. ले.सं. भाग-2 गुणसागरसूरि आप द्वारा प्रतिष्ठापित 6 प्रतिमायें मिली हैं, जिन पर वि. सं. 1483 से वि. सं. 1511 त के लेख उत्कीर्ण हैं। इनका विवरण इस प्रकार है : ;-- वि. सं. 1483 वि. सं. 1483 वि. सं. 1483 जै. धा. प्र. ले. सं. भाग 2 वही भाग 2 वही भाग 1 वैशाख सुदि 5 गुरुवार फाल्गुन सुदि 10 गुरुवार फाल्गुन सुदि 10 गुरुवार वैशाख सुदि 3 ज्येष्ठ सुदि 9 रविवार आषाढ वदि 9 शनिवार वि. सं. 1486 वही, भाग 1 वि.सं. 1504 वि.सं. 1511 वि.सं. 1511 के लेख में सर्वाणंदसूरि के पट्टधर ( ? ) के रूप में इनका उल्लेख मिलता है । वही, भाग 1 बी. जै. ले. सं. भ्रमण, जुलाई-सितम्बर, १ हैं : वि. सं. 1486 ज्येष्ठ सुदि 9 बुधवार वि. सं. 1521 वैशाख सुदि 3 सोमवार गुणसागरसूरि के पट्टधर गुणसमुद्रसूरि जै. धा. प्र. ले. सं. भाग 2 वही, भाग 1, लेखांक 223 लेखांक 704 लेखांक 1241 गुणसागरसूरि के शिष्य हेमरत्नसूरि इनके द्वारा प्रतिष्ठापित 2 प्रतिमायें मिली हैं, जो वि. सं. 1486 और वि. सं. 1521 की For Private & Personal Use Only लेखांक लेखांक लेखांक लेखांक लेखांक लेखांक 465 1014 1178 1067 1171 945 139 लेखांक लेखांक 847 इनके द्वारा प्रतिष्ठापित 21 जिन प्रतिमायें मिली हैं, जो वि. सं. 1492 से वि. सं. 1512 तक की है। इनका विवरण इस प्रकार है : Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.525011
Book TitleSramana 1992 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1992
Total Pages82
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size4 MB
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