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क्रम सं०
१
१.
२.
३.
४.
५.
६.
७.
4.
परिषहों के संदर्भ में
│I │
बादर सम्पराय
आध्यात्मिक विशुद्धि का क्रम
उमास्वाति के अनुसार ध्यान के संदर्भ में
अविरत (सम्यक् दृष्टि)
देश विरत
प्रमत्तसंयत
अप्रमत्तसंयत
I
कर्म निर्जरा के संदर्भ में
४
सम्यक दृष्टि (दर्शनमोह
उपशमक)
गुणस्थान सिद्धान्त के
अनुसार
५
मिथ्या दृष्टि
सास्वादन
सम्यक् मिथ्या दृष्टि
सम्यक दृष्टि ( अविरत दृष्टि )
देश विरत
श्रावक
विरत
अनन्त वियोजक (उपशांत अप्रमत्त संयंत
दर्शन मोह) दर्शनमोहक्षपक
सर्वविरत ( प्रमत्तसंयत )
अपूर्वकरण (निवृत्ति बाटर सम्पराय )
३८
श्रमण, जनवरी-मार्च, १९९२