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________________ उपकेशगच्छ का संक्षिप्त इतिहास 1 * -डा० शिवप्रसाद पूर्वमध्यकालीन श्वेताम्बर गच्छों में उपकेशगच्छ का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण स्थान है । जहाँ अन्य सभी श्वेताम्बर गच्छ भगवान् महावीर से अपनी परम्परा जोड़ते हैं, वहीं उपकेशगच्छ अपना सम्बन्ध - भगवान् पार्श्वनाथ से जोड़ता है । अनुश्रुति के अनुसार इस गच्छ की उत्पत्ति का स्थान राजस्थान प्रदेश में स्थित ओसिया (प्राचीनउपकेशपुर ) माना जाता है । परम्परानुसार इस गच्छ के आदिम माचार्य रत्नप्रभसूरि ने वीर सम्बत् ७० में ओसवाल जाति की स्थापना की, परन्तु किसी भी ऐतिहासिक साक्ष्य से इस तथ्य की पुष्टि नहीं होती । ऐतिहासिक साक्ष्यों के आधार पर ओसवालों की स्थापना और इस गच्छ की उत्पत्ति का समय ईस्वी सन् की आठवीं शती के पूर्व नहीं माना जा सकता । चैत्यवासी आम्नाय में उपकेशगच्छ का विशिष्ट स्थान है । इस गच्छ में कक्कसूरि देवगुप्तसूरि और सिद्धसूरि इन तीन नामों की प्रायः पुनरावृत्ति होती रही है। उपकेशगच्छ में कई विद्वान् एवं प्रभावक आचार्य और मुनिजन हुए हैं, जिन्होंने साहित्योपासना के साथ-साथ नवीन जिनालयों के निर्माण और प्राचीन जिनालयों के जीर्णोद्धार तथा जिन प्रतिमाओं की प्रतिष्ठापना द्वारा पश्चिम भारत मैं श्वेताम्बर जैन सम्प्रदाय को जीवन्त बनाये रखने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया । अन्य गच्छों की भाँति उपकेशगच्छ से भी कई अवान्तर शाखाओं का जन्म हुआ, जैसे वि. सं १२६६ / ई० सन् १२१० में द्विवंदनीक शाखा, वि० सं० १३०८ / ई० सन् १२५२ में खरतपाशाखा तथा वि० सं० १४९८ / ई० सन् १४४१ में खादिरीशाखा अस्तित्त्व में आयी । उपकेशगच्छ के इतिहास के अध्ययन के लिये साहित्यिक साक्ष्यों -अन्तर्गत इस गच्छ के मुनिजनों की कृतियों की प्रशस्तियाँ, मुनिजनों • सहशोधाधिकारी पार्श्वनाथ विद्याश्रम, वाराणसी, ५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525007
Book TitleSramana 1991 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1991
Total Pages198
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size7 MB
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