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________________ कोटिशिला तीर्थ का भौगोलिक अभिज्ञान ५९. ऊँची है । बड़ागाँव के दक्षिण में यह पर्वत श्रृंखला दशार्ण नदी के मुहाने तक जाकर विलुप्त हो जाती है । कोटि पहाड़ पर अनेक प्राचीन जैन मन्दिर गुफायें, चरण-चिह्न और पुरावशेष सुरक्षित हैं, जो अनायास ही उसे कोटितीर्थ घोषित करते हैं । आज यह तीर्थं "बड़ागाँव सिद्धक्षेत्र" के रूप में पुनर्प्रतिष्ठित हो रहा है। प्राचीष जैन तीर्थों के मानचित्र पर इसके उत्तर-पूर्व में खजुराहो, उत्तर-पश्चिम में अहार और चन्देरी, दक्षिण-पूर्व में रेशंदीगिरि तथा कुण्डलपुर और दक्षिण-पश्चिम में विदिशा तथा ग्यारसपुर तीर्थ क्षेत्र अवस्थित हैं । "कोटिशिलातीर्थंकल्प” में आचार्य जिनप्रभसूरि ने अपने पूर्ववर्ती आचार्यों के इस मत को उद्धृत किया है कि कोटिशिला " दसन्नपव्वय समीवि" अर्थात् दशार्ण पर्वत के निकट स्थित है । दशार्ण पर्वत से पूर्वाचार्यों का आशय दशार्ण नदी के निकट अवस्थित "कोटि पहाड़" पर्वत माला से रहा है, जो आकार की दृष्टि से " जोअणपिहुला" अर्थात् एक योजन विस्तार रखती है । दशार्ण नदी, भोपाल के विरमऊ पहाड़ों से निकलकर टीकमगढ़, छतरपुर जिलों की सीमारेखा बनाती हुई, झांसी जिले के चंदवारी गाँव के निकट बेतवा में गिर जाती है । इस नदी के दक्षिण में विन्ध्याचल की भांडेर श्रेणियाँ तथा पूर्व में पन्ना पर्वत श्रेणियां हैं । नदी के पश्चिमी भाग में - दक्षिण से उत्तर की ओर अनेक छोटे-छोटे स्वतंत्र एकान्तिक पहाड़ है, जिनकी एक अन्तरङ्ग शृङ्खला मदनपुर से अहार क्षेत्र तक चली गई है । किसी अन्य नाम के अभाव में, इस पर्वत श्रेणी को ही पूर्वाचार्यो ने दशार्ण पर्वत कहा है, ठीक वैसे ही जैसे महाभारत काल में " दशार्ण" के आधार पर इस क्षेत्र की एक संज्ञा हमें " दशार्णा" प्राप्त होती है । इसी दशार्ण पर्वत श्रेणी अथवा “कोटि पहाड़" पर प्राचीन कोटिशिला अवस्थित रही होगी । - कोटि पहाड़ से कोटिशिला के समीकरण के कतिपय अवान्तर प्रमाण हमें उपलब्ध होते हैं । आदिपुराण में चक्रवर्ती भरत की सेनाओं द्वारा तैरश्चिक, वैर्य और कटाद्रि का उल्लंघन कर पारियात्र देश को प्राप्त करने का उल्लेख है । दशार्ण के पर्वतीय क्षेत्र की "परियात्र " संज्ञा हमें मध्य युग में प्राप्त होती है पद्मनन्दि का वारा-नगर इसी परियात्र देश में अवस्थित था । वारानगर को वर्तमान www.jainelibrary.org Jain Education International For Private & Personal Use Only
SR No.525007
Book TitleSramana 1991 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1991
Total Pages198
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size7 MB
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