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________________ उच्चैर्नागर शाखा के उत्पत्ति स्थल एवं उमास्वाति के जन्म स्थल २१ थी । अतः अब हमें इस भ्रान्ति का निराकरण कर लेना चाहिए । उच्चैर्नागर शाखा का सम्बन्ध किसी भी स्थिति में बुलन्दशहर से नहीं हो सकता है । * यह सत्य है कि उच्चैर्नागर शाखा का सम्बन्ध किसी ऊँचानगर से ही हो सकता है । इस सन्दर्भ में हमने इससे मिलते-जुलते नामों की खोज प्रारम्भ की। हमें ऊँचाहार, ऊँचडीह, ऊँचीबस्ती, ऊँचौलिया, ऊँचाना, ऊँच्चेहरा आदि कुछ नाम प्राप्त हुए । ' हमें इन नामों में ऊँचाहार ( उ० प्र०) और ऊँचेहरा ( म०प्र०) ये दो नाम अधिक निकट प्रतीत हुए । ऊँचाहार की सम्भावना भी इसलिए हमें उचित नहीं लगी कि उसकी प्राचीनता के सन्दर्भ में विशेष जानकारी उपलब्ध नहीं है । अतः हमने ऊँचेहरा को ही अपनी गवेषणा का विषय बनाना उचित समझा । ऊँचेहरा मध्यप्रदेश के सतना जिले में सतना रेडियो स्टेशन से ११ कि.मी. दक्षिण की ओर स्थित है । ऊँचेहरा से ७ किमी. उत्तर-पूर्व की ओर भरहुत का प्रसिद्ध स्तूप स्थित है, इससे इस स्थान की प्राचीनता का भी पता लग जाता है । वर्तमान ऊँचेहरा से लगभग २ कि. मी. की दूरी पर पहाड़ के पठार पर यह प्राचीन नगर स्थित था, इसी से इसका ऊँचानगर नामकरण भी सार्थक सिद्ध होता है । वर्तमान में यह वीरान स्थल 'खोह' कहा जाता है । वहाँ के नगर निवासियों ने मुझे यह भी बताया कि पहले यह उच्चकल्पनगरी कहा जाता था और यहाँ से बहुत सी पुरातात्विक सामग्री भी निकली थी । यहाँ से गुप्त काल अर्थात् ईसा की पांचवीं शती के राजाओं के कई दानपत्र प्राप्त हुए हैं । इन ताम्र- दानपत्रों में उच्चकल्प (उच्छकल्प) का स्पष्ट उल्लेख है, ये दानपत्र गुप्त सं० १५६ से गुप्त सं० २०९ के बीच के हैं । (विस्तृत विवरण के लिये देखें ऐतिहासिक स्थानावली - विजयेन्द्र कुमार माथुर, पृ० २६०-२६१) । इससे इस नगर की गुप्तकाल में तो अवस्थिति स्पष्ट हो जाती है । पुनः जिस प्रकार विदिशा के समीप सांची का स्तूप निर्मित हुआ है उसी प्रकार इस उच्चैर्नगर ( ऊँचहेरा ) के समीप भरहुत का स्तूप निर्मित हुआ था और यह स्तूप ई० पू० दूसरी या प्रथम शती का है । इतिहासकारों ने इसे शुंग काल का १. ऊँच्छ नामक अन्य नगरों के लिए देखिए - The Ancient Geography of India (Cunningham) pp. 204-205 For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.525007
Book TitleSramana 1991 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1991
Total Pages198
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size7 MB
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