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________________ *१४० T धर्मरुचि [ वि० सं० १५६१, ई० सन् १५०५ में अजापुत्र चौपाई के रचनाकार ] साहित्यिक और अभिलेखीय साक्ष्यों के आधार पर निर्मित उपकेशमच्छीय सिद्धाचार्य संतानीय शाखा के आचार्यों की तालिका तालिका-४ श्रमण, जुलाई-सितम्बर, १९९१ ? Į 1 Jain Education International T I कक्कसूरि [ वि० सं० १३१५-२३४५ ] प्रतिमालेख देवगुप्तसूरि [वि० सं० १३४७] प्रतिमालेख सिद्धसूरि [वि० सं० १३८५ ] प्रतिमालेख कक्कसूरि त पाटि मुणींद, आगम कमला विकासन दिणंद | लोपी मिथ्यामय विषकंद समकित अमृतकला गुरु चंद ॥ ३६ ॥ सूरि शीरोमणी देवगुप्त, जाइ पाय जस नाम पवित्त | विघ्न टलइ सवि संपद मिलइ, गुरु नामइ चिंतित फलइ ||३७|| चिंतामणी कामधेनु समान, रत्नत्रय जिम नाम प्रधान । अलिय निवारी देव सचि आवी, वीरजिणेश्वर नमइशि भावि ॥३८॥ कक्कसूरि केरा शिष्य, श्री धर्महंस पय नामक शिष्य । धर्म्मरुचि बोलइ तास पसाइ, रची चउपइ अजापुत्रराय ॥३९॥ देसाई, पूर्वोक्त, पृष्ठ २१८-२१९ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525007
Book TitleSramana 1991 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1991
Total Pages198
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size7 MB
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