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तालिका-२
साहित्यिक प्रौर प्रभिलेखीय साक्ष्यों के श्राधार पर निर्मित उपकेशगच्छीय ककुदाचार्य संतानीय प्राचार्य परम्परा
कक्कसूरि - जिनचन्द्रगणि / कुलचन्द्रगणि
अपरनाम
देवगुप्तसूरि [वि० सं० १०७३ / ई० सन् १०१७ में नवपदप्रकरण के रचयिता ] [ संभवतः तत्त्वार्थाधिगमसूत्र की ३१ उपोद्घात्कारिका के टीकाकार ] कक्कसूरि [ पंचप्रमाण के कर्ना]
वि० सं० १०७८/ ई० सन् १०२२ प्रतिमालेख
1 सिद्धसूरि
देवगुप्तसूर [ द्वितीय ]
सिद्धसूरि [वि० सं० ११९२ / ई० सन् ११३६ में क्षेत्रसमासवृत्ति [वि०सं० १२०३ प्रतिमालेख]
यशोदेव उपाध्याय पूर्वनाम धनदेव
वि० सं० ११६५ / ई० सन् ११०९ में नवपदप्रकरण बृहद्वृत्ति एवं वि० सं० ११७८ / ई० सन् ११२२ में चन्द्रप्रभचरित के कर्ता
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श्रमण, जुलाई-सितम्बर, १९९१