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________________ वसन्तविलासकार बालचन्द्रसूरि : व्यक्तित्व एवं कृतित्व वसन्तविलास का रचनाकाल निर्धारित करने के लिए अन्तःसाक्ष्य का आश्रय लेना भी आवश्यक है । इस महाकाव्य की रचना, वस्तुपाल की मृत्यु के बाद, उसके पुत्र जैत्रसिंह के अनुरोध पर की गयी है और इसमें वस्तुपाल की मृत्यु वि० सं० १२९६ ( १२४० ई० ) उल्लिखित है' । अतः निश्चित है कि यह वस्तुपाल की मृत्यु के पश्चात् लिखी गयी थी । डॉ० गुलाबचन्द्र चौधरी का भी यही मत है । २५ इस महाकाव्य के रचनाकाल की निम्न- सीमा के निर्धारण हेतु जैत्रसिंह के कार्यकाल के सम्बन्ध में भी विचार करना आवश्यक है । जैत्रसिंह को अपने पिता के जीवनकाल में ही वि०सं० १२७९ (१२२३ ई०) में खम्भात का राज्यपाल नियुक्त किया गया था । उस समय उसकी अवस्था २५ वर्ष के लगभग रही होगी । इसमें भी अपने जीवन के अन्तिम समय में वस्तुपाल द्वारा जैत्रसिंह को राज्यसंचालन सम्बन्धी शिक्षा देने का उल्लेख किया गया है । इससे भी स्पष्ट होता है कि उस समय तक जैत्रसिंह में सूझ-बूझ की परिपक्वता परिपूर्ण थी और वह राज्य-भार सम्भालने में समर्थ हो चुका था । यदि यह स्वीकार कर लिया जाय कि जैत्रसिंह लगभग ८० वर्ष की आयु प्राप्त करके दिवंगत हुआ तो उसकी मृत्यु वि० सं० १३३३-३४ (१२७७-७८ ई०) के लगभग निश्चित होती है । डॉ० श्यामशंकर दीक्षित ने इसी आधार पर इस महाकाव्य का रचनाकाल वि० सं० १२८६ (१२३० ई०) से १३३४ (१२७८ ई०) के मध्य माना है । जैसा कि हम जानते हैं कि बालचन्द्रसूरि का अन्तिम समय वि० सं० १३२० (१२६४ ई० ) है | अतएव, वसन्तविलास महाकाव्य की रचनाकाल की निम्न सीमा वि० सं० १३२० (१२६४ ई०) तक रखना अत्यन्त तर्कसंगत है । उपर्युक्त विवरणानुसार, वसन्तविलास महाकाव्य का रचनाकाल १. वही, सर्ग १४, श्लोक ३७ २. जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भाग ६, पृ० ४०८ ३. वसन्तविलास, भूमिका, पृ० १३ ४. वही, सर्ग १४, श्लोक ३८ ५. १३ - १४वीं शताब्दी के जैन महाकाव्य, पृ० १४८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525006
Book TitleSramana 1991 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1991
Total Pages114
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size5 MB
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