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________________ श्रद्धाञ्जलि श्री चैनलाल जी जैन मूलतः स्यालकोट के निवासी थे । भारत विभाजन के पश्चात् वे मेरठ ( उ० प्र०) चले आये और वहीं उन्होंने अपनी रबर फैक्ट्री स्थापित की इस फैक्ट्री का संचालन उन्होंने इतनी दूरदर्शिता एवं प्रामाणिकता से किया कि रबर के उत्पादनों में उनकी अपनी एक साख बन गई । एक उद्योगपति के साथ-साथ आप एक सामाजिक कार्यकर्ता भी थे । महावीर एजुकेशनल बोर्ड के मैनेजिंग कमेटी के आप वर्षों तक सदस्य रहे । इसके अतिरिक्त जैन पुरुषार्थी कोआपरेटिव हाउसिंग सोसायटी के सन् १९७८ में प्रेसिडेण्ट भी रहे । मेरठ के जैन नगर के विकास में आपका महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है । सन् १९९० में आपने महावीर धर्मार्थं जैन औषधालय के संचालन में सहयोग दिया और उसके संरक्षक सदस्य बने । १७ जुलाई १९९१ को आपका स्वर्गवास हो गया । आपका परिवार भरा पुरा है जिसमें दो पुत्र, छः पुत्रियाँ और तीन पौत्र हैं। पार्श्वनाथ विद्याश्रम परिवार उन्हें अपनी श्रद्धाञ्जलि अर्पित करता है । निर्जल तप का विश्व कीर्तिमान आप सभी को यह जानकर प्रसन्नता होगी कि बेंगलोर निवासी श्रीमान् बालचन्दजी की पुत्रवधू और श्री शान्तिलालजी की धर्मपत्नी श्रीमती विमलादेवी कांकरिया ने बिना अन्न-जल ग्रहण किये ३३ दिन का चौविहार (उपवास) सम्पन्न किया । इनकी यह तपस्या धार्मिक मूल्यों के प्रति जन हृदय में आस्था जागृत करने के लिए महत्त्वपूर्ण है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525006
Book TitleSramana 1991 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1991
Total Pages114
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size5 MB
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