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________________ वङ्कचूल प्रबन्ध जिनप्रभकृत-विविधतीर्थ कल्प से ग्रहीत है' । अभिप्राय यह कि जब ग्रन्थ की अधिकांश सामग्री दूसरे ग्रन्थों से यथावत् ली गई हो तो अन्तःसाक्ष्य के आधार पर कर्ता के विषय में किसी निश्चय पर पहुँचना उपयुक्त नहीं होगा। राजशेखर का जन्म काल तेरहवीं शताब्दी ई० का उत्तरार्द्ध माना जा सकता है। यद्यपि निश्चयात्मक रूप से कुछ कह पाना कठिन है । 'खरतरगच्छ बृहद्गुर्वावलि' में अन्य लोगों के साथ संवत् १३१३ (१२५६ ई०) में गच्छ-वृद्धि दीक्षा लेने का उल्लेख है । अतः यदि हम कलिकाल सर्वज्ञ हेमचन्द्र (बालक चांगदेव) की आठ बर्ष में दीक्षा की घटना को तत्कालीन परम्परा मान लें और राजशेखर की भी दीक्षा ८-१० वर्ष की आयु में हुई हो तो उनका जन्म सन् १२५० के आस-पास माना जा सकता है। इस प्रकार हम देखते है कि आचार्य का गृहस्थजीवन तो पूर्णतया अज्ञात है ही उनके आध्यात्मिक जीवन की भी मात्र कुछ छिट-पुट घटनाओं का ही उल्लेख यत्र-तत्र मिलता है। आगे हम इन तथ्यों पर प्रकाश डालेंगेःश्रमण-दीक्षा खरतर गच्छ-बृहद्गुवविलि के अनुसार संवत् १३१३ (१२५६ ई०) में जावालिपुर (जालौर) में स्वर्णगिरि के ऊपर महाप्रासाद में शान्तिनाथ की प्रतिमा स्थापित की गई और कनककीर्ति, बिबुधराज, राजशेखर आदि ने गच्छवृद्धि की दीक्षा ग्रहण की। यद्यपि इसमें दीक्षा देने वाले आचार्य का उल्लेख नहीं है परन्तु अपने गुरु के रूप में राजशेखर ने कई स्थलों पर श्री श्रीतिलकसूरि का उल्लेख किया है। १. प्र०को०, पृ० व विविधतीर्थकल्प (सिंघीजनसिरीज) पृ० ५९-६४ व ८१-८३ २. सं जिनविजय-खरतरगच्छ वृहद्गुर्वावलि, सिंघीजैनग्रन्थमाला सं. ४२, ___ भारतीय विद्याभवन, बम्बई १९५६, पृ० ५१ ३. संवत् १३१३ फाल्गुन सुदि ४, श्रीया (जा) वालिपुरे स्वर्णगिर्युपरि महा प्रासादे बाहित्रिकोद्धरण प्रतिष्ठापित श्री शान्तिनाथस्थापना । चैत्रसुदि १४, कनककीत्ति-विबुधराज - राजशेखर, गुणशेखर, जयलक्ष्मी-कल्याणनिधि-प्रमोदलक्ष्मी-गच्छवृद्धि दीक्षा। खरतरगच्छबृहद्गुर्वावलि-सं० जिनविजय, पृ० ५१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525004
Book TitleSramana 1990 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1990
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size5 MB
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