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________________ किया है । 'कैटलागस कैटलागरम् में 'बालभारत' को 'प्रचण्डपाण्डव' कहा गया है। यहाँ राजशेखर कृत चार नाटकों, 'कर्पूरमंजरी, "बालभारत', 'बालरामायण' और 'विद्धशालभंजिका' का विवरण मिलता है। यद्यपि द्वितीय राजशेखर सूरि की पहचान असंदिग्ध है फिर भी आधुनिक विद्वानों के कुछ उल्लेखों से इनके सम्बन्ध में भ्रामक सूचनायें मिलती हैं । उदाहरणस्वरूप थीयोडोर आफ्रेच्ट ने 'कैटलागस कैटला. गरम्' में राजशेखर सूरि और राजशेखर मलधारि-दो कवियों का उल्लेख किया है। राजशेखर सूरि को आचार्य तिलक सूरि का शिष्य कहा गया है, न्यायकंदलीपंजिका इनकी रचना के रूप में वर्णित है। मलधारि राजशेखर मुनि सुधाकलश के गुरु के रूप में वर्णित है, इनकी कृति प्रबन्धकोश है । वस्तुतः राजशेखर सूरि और राजशेखर मलधारि एक ही व्यक्ति हैं। राजशेखर सूरि मलधारि गच्छ के थे अतः इनको मलधारि राजशेखर कहा जाता था। इसी प्रकार अंचलगच्छीय जयशेखर सूरि एवं मलधारि राजशेखर सूरि को कहीं-कहीं एक समझकर दोनों की कुछ कृतियों को परस्पर एक दूसरे के साथ सम्बद्ध कर दिया गया है । इसका विवरण राजशेखर की कृतियों के विवेचन-क्रम में आगे दिया जायेगा। राजशेखर के व्यक्तित्व एवं कृतित्व से सम्बन्धित अन्य बातों का वर्णन तीसरे राजशेखर कुल्लूर के परिचय के बाद दिया जायेगा। तीसरे राजशेखर कुल्लूर, गौतमगोत्रीय कुल्लूरवंशीय वेंकटेश के पुत्र थे । ये गोदावरी जिले के पेरूर नामक स्थान के निवासी थे । यहाँ उल्लेखनीय है कि डा० प्रवेशभारद्वाज के अपने शोध-प्रबन्ध 'प्रबन्धकोश का ऐतिहासिक विवेचन' में राजशेखर कुल्लूर का उल्लेख नहीं है। उनके शब्दों में 'राजशेखर नाम के दो विद्वान् हुए हैं-एक राजशेखर कवि और दूसरा जैनप्रबन्धकार राजशेखर सूरि। राजशेखर कवि 'काव्यमीमांसा', 'कर्पूरमंजरी' आदि का रचयिता गाहड़वालकालीन था। राजशेखर सूरि प्रबन्धकोश आदि का कर्ता तुगलककालीन इति१. विश्वकोश खण्ड-१०, पृ० ७७ २. आफेच्ट थीयोडोर, कैटलागस कैटलागरम भाग-१, पृ० ५०२ ३. वही, पृ० ५०२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525004
Book TitleSramana 1990 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1990
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size5 MB
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