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________________ ( ५४ ) (५) खेयण्ण-पुनः पश्चिमी प्रदेश ( गुजरात-सौराष्ट्र ) की ओर प्रस्थान करने पर खेदन्न शब्द का परिवर्तन खेयण्ण में हो गया ( मध्यवर्ती अल्पप्राण का लोप, य श्रुति और तालव्य न का मूर्धन्य ण में परिवर्तन) जैन आगमों की अन्तिम वाचना का स्थल वलभी (गुजरात) था । इसतरह मध्यवर्ती अलप्राण व्यंजन का लोप ( और य श्रुति ) तथा न का ण में परिवर्तन परवर्ती काल की और विशेषतः इसी क्षेत्र (पश्चिमी) की प्रवृत्तियाँ मानी गयी हैं जो काल और क्षेत्र की दृष्टि से ( शिलालेखों के प्रमाणों पर आधारित ) बिलकुल उपयुक्त हैं। __ इस प्रकार प्राचीन प्राकृत शब्द 'खेत्तन्न' (पूर्वी भारत में-मगध देश का प्राचीन रूप ) परवर्ती काल के प्रभाव में आकर (पश्चिम भारत में ) भले ही 'खेयण्ण' में बदल गया हो और परवर्ती काल की प्रतों में 'खेयण्ण' पाठ अधिकतर मिलता हो तब भी मल और प्राचीन शब्द तो 'खेत्तन्न' ही है जो जैन आगम ग्रन्थों में प्रयुक्त होना चाहिए था। इस दृष्टि से शुबिंग महोदय द्वारा अपनाया गया 'खेयन्न' शब्दपाठ भी उचित नहीं ठहरता और न ही अन्य सम्पादकों का 'खयण्ण' शब्द-पाठ। चूणि के पाठों में त्त के स्थान पर क्वचित् ही य मिलता है जो विशेष ध्यान देने योग्य मुद्दा है। प्राकत में होने वाले ध्वनि-परिवर्तनों के कारण जब यह शब्द 'खेतन्न' से 'खेदन्न' या 'खेदण्ण' (त=द, न = ण) की अवस्था से गुजरा तब ध्वनि-परिवर्तन-सम्बन्धी कारण तथा मूल परम्परा की अनभिज्ञता के ओझल हो जाने से उसको मूलतः 'खेद' समझ कर उसका उस रूप में अर्थ किया जाने लगा। जिस प्रकार ‘मात्र' शब्द का 'मत्त' = 'मात' = 'माय' हो गया; पात्र की 'पाय', 'आत्म' का आत्तआत-आय' हो गया उसी प्रकार 'खेत्त' का 'खेय' हुआ है। अतः इस शब्द का सम्बन्ध खेदज्ञ के साथ जोड़ने की परम्परा परवर्ती है और उचित भी प्रतीत नहीं होती। पिशल ने तो ( २७६ ) मात्र 'खेयन्न' १. मूलग्रथ की प्रतियों में चूर्णी में ऐसे पाठान्तर भी मिल रहे हैं तब उन प्राचीन पाठों को प्राथमिकता क्यों नहीं दी जानी चाहिए। २. संस्कृत और पालि कोशों में 'खेदज्ञ' जैसा कोई शब्द नहीं मिलता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525004
Book TitleSramana 1990 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1990
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size5 MB
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