SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 116
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ११४ ) होते रहे । खोलवी तथा धमनार स्थलों के शैलकृत्त बौद्ध मंदिर, गुहाएँ और प्रतिमाएँ उल्लेखनीय हैं। उनका निर्माण --- काल ई० ५०० से ९०० तक है। धमनार (धर्मनाथेश्वर) में कुल १४ शैलकृत्त गुहाएँ मिली हैं। काली सिंध पर स्थित सारंगपुर से प्राचीन आहत तथा साँचे के बने सिक्के और उज्जयिनी के सिक्के मिले हैं । रूपमती का जन्मस्थल होने के कारण मध्यकाल में इस स्थान को विशेष ख्याति मिली। धार जिले के बाघ नामक स्थान में गुप्त काल में बौद्ध मूर्तिकला तथा चित्रकला का प्रभूत विकास हुआ। शाजापुर-क्षेत्र अपनी उर्वर भूमि तथा प्राकृतिक सौंदर्य के कारण प्रख्यात था। प्राचीन काल में परमारों के पहले इस क्षेत्र पर मालवों और मौखरियों का क्रमशः शासन रहा। संभवतः कछ समय के लिए यह क्षेत्र चष्टन वंशी क्षत्रपों के अधिकार में रहा । परमारों के शासनकाल में शाजापुर-क्षेत्र में बहुसंख्यक मंदिरों तथा प्रतिमाओं का निर्माण हुआ, जिनके अवशेष आज भी देखे जा सकते हैं । इस जनपद की प्राचीन धरोहर को सुरक्षित रखने के लिए शाजापुर में संग्रहालय की स्थापना प्रशंसनीय कार्य है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525004
Book TitleSramana 1990 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1990
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy