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आधुनिक मनोविज्ञान में यदि इनके स्वभावों के सम्बन्ध में विशेष अध्ययन किया जाय तो हमें अनेक मनोवैज्ञानिक सत्य प्राप्त हो सकते हैं।
शेल्डन नामक मनोवैज्ञानिक ने शरीर की बनावट के आधार पर व्यक्तित्व को गोलाकार, आयताकार और लम्बाकार रूप में वर्गीकृत किया है। उनके आयताकार व्यक्तित्व के वर्ग की तुलना जैन परम्परा के समचतुरस्त्र संस्थान से कर सकते हैं। उन्होंने इस प्रकार के शरीर संरचना वाले व्यक्तित्व की उद्यमी और साहसी कहा है। साथ ही उसे बलवान भी माना है। यही गुण हमें जैन परम्परा के समचतुरस्र संस्थ न से युक्त व्यक्तित्व में मिलते हैं।
शेल्डन का गोलाकार व्यक्तित्व जैन परम्परा के स्वाति संस्थान से तुलनीय माना जा सकता है, क्योंकि स्वाति संस्थान को वाल्मीक के आकार के समान बताया गया है, जो शेल्डन के गोलाकार व्यक्ति व के समान माना जा सकता है। किसी सीमा तक इस प्रकार की शारीरिक संरचना वाले व्यक्तित्व को जैनों के वामन संस्थान वाले व्यक्तित्व के भी निकट माना जा सकता है।
__ शेल्डन ने लम्बाकार शरीर संरचना की जो चर्चा की है वह जैनों के न्यग्रोध संस्थान के निकट कही जा सकती है किन्तु दोनों में अन्तर भी है। क्योंकि इस संस्थान वाले व्यक्ति के नाभि के ऊपर का भाग पुष्ट होता है । लम्बाकार व्यक्तित्व के समरूप कोई भी व्यक्तित्व हमें जैन परमरा में उपलब्ध नहीं होता है। लम्बाकर व्यक्तित्व में मुख्यरूप से लम्बा और पतला दोनों बातें आ जाती हैं; जबकि जैनों में शरीर के वर्गीकरण में ऐसा कोई संस्थान नहीं है, जो लम्बा और कृश दोनों हो।
जैनों के न्यग्रोध परिमण्डल संस्थान में शरीर के अधोभाग को कृश और ऊपरी भाग को पुष्ट माना गया है और स्वाति संस्थान में भी शरीर के अधोभाग को पुष्ट और ऊपरी भाग को कृश माना गया है। अत: दोनों ही शेल्डन के लम्बाकार व्यक्तित्व से भिन्न हैं।
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