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________________ ( ४७ ) अधिक लम्बा-चौड़ा होता है और न मोटा और दुबला ही । क्रेत्समर ने भी पुष्टकाय प्रकार के यही लक्षण बताये हैं । सुसंगठित और सुडौल शरीर व्यक्तित्व का एक महत्त्वपूर्ण अंग है । इसे जैन दर्शन और आधुनिक मनोविज्ञान दोनों ही स्वीकार करते हैं । जैनों के अनुसार तीर्थंङ्कर, चक्रवर्ती वासुदेव आदि शलाकापुरुष ( महापुरुष ) सनचतुरस्र संस्थान वाले होते हैं । इसका अर्थ यह है कि इनके प्रभावशाली व्यक्तित्व का एक कारण इनकी शारीरिक संरचना है । क्र ेत्समर ने पुष्टकाय प्रकार के व्यक्तित्व में साहस, निर्भयता, सफलता, सामाजिक समायोजन आदि गुणों की जो चर्चा की है वे जैनों के शलाकापुरुषों में भी पाये जाते हैं, इसलिए वे विशिष्ट व्यक्ति माने जाते हैं । इस प्रकार दोनों ही परम्परायें चाहे एक दूसरे से भिन्न हों, किन्तु दोनों ने सफल व्यक्तित्व के लिए सुडौल और सुगठित शरीर को समान रूप से स्वीकार किया है । ↑ जैनों का न्यग्रोध परिमण्डल शरीरसंस्थान किसी सीमा तक क्रेत्समर के कृशकाय प्रकार से तुलनीय हो सकता है । यद्यपि दोनों में यहाँ एक महत्त्वपूर्ण अन्तर है, वह यह कि कृशकाय प्रकार का व्यक्ति लम्बा और छरहरे बदन का होता है जबकि न्यग्रोध संस्थान वाला व्यक्ति लम्बा होकर भी पूर्णतया छरहरे बदन का नहीं होता है । जैनों के अनुसार न्यग्रोध परिमण्डल वाले व्यक्ति के शरीर का अधोभाग लम्बा और पतला होता है किन्तु उसके शरीर का ऊपरी भाग अर्थात् वक्षस्थल, मुखमण्डल आदि सुगठित होते हैं । मनोवैज्ञानिकों ने स्वभाव की दृष्टि से इसे अन्तर्मुखी और दूसरों का आलोचक बताया है । जैन परम्परा में न्यग्रोध परिमण्डल संस्थान वाले व्यक्ति के स्वभाव के सम्बन्ध में कोई विशेष सूचना हमें प्राप्त नहीं होती है । वैसे जैनों का न्यग्रोध परिमण्डल शरीरसंस्थान क्र ेत्समर के मिश्रकाय प्रकार के अधिक निकट है । 1 क्रेत्समर का तुंदिल प्रकार का व्यक्ति जैनों के स्वाति संस्थान से तुलनीय है । जैनों के अनुसार स्वाति संस्थान से युक्त व्यक्ति के शरीर का नाभि से नीचे का भाग मोटा और ऊपर का भाग हीन होता है । 'धवला' में इस संस्थान की तुलना वाल्मीक से की गयी है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525002
Book TitleSramana 1990 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1990
Total Pages118
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size6 MB
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