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________________ ( २४ ) रखी गयी हैं, इसका भी विवरण उपलब्ध हो जाता है। उदाहरण के रूप में कटुकमति लाधाशाह द्वारा विरचित सूरतचैत्यपरिपाटी में यह बताया गया है कि इस नगर के गोपीपुरा क्षेत्र में कुल ७५जिनमंदिर, ५विशाल जिन मंदिर तथा १३२५ जिनबिम्ब थे। सम्पूर्ण सूरत नगर में १० विशाल जिनमदिर, २३५ देरासर (गृहचैत्य) ३गर्भगृह, ३९७८ जिन प्रतिमाएँ थीं। इसके अतिरिक्त सिद्धचक्र कमलचौमुख, पंचतीर्थी, चौबीसी आदि को मिलाने पर १००४१ जिनप्रतिमाएं उस नगर में थीं, ऐसा उल्लेख है। यह विवरण १७९३ का है। इस पर से हम अनुमान कर सकते हैं कि इन रचनाओं का ऐतिहासिक अध्ययन की दृष्टि से कितना महत्त्व है। सम्पूर्ण चैत्यपरिपाटियों अथवा तीर्थमालाओं का उल्लेख अपने आप में एक स्वतन्त्र शोध का विषय है। अतः हम उन सबकी चर्चा न करके मात्र उनकी एक संक्षिप्त सूची प्रस्तुतकर रहे हैंरचना रचनाकार रचना तिथि सकलतीर्थस्तोत्र सिद्धसेनसूरि वि०सं० ११२३ अष्टोत्तरीतीर्थमाला महेन्द्रसूरि वि०सं० १२४१ कल्पप्रदीप अपरनाम विविधतीर्थकल्प जिनप्रभसूरि वि०सं० १३८९ तीर्थयात्रास्तवन विनयप्रभ उपाध्याय वि०सं० १४ वीं शती अष्टोत्तरीतीर्थमाला मुनिप्रभसूरि वि०सं० १५ वीं शती तीर्थमाला मेधकृत वि०सं० १६ वीं शती पूर्वदेशीयचत्यपरिपाटी हंससोम वि०सं० १५६५ सम्मेतशिखर तीर्थमाला विजयसागर वि०सं० १७१७ श्री पार्श्वनाथ नाममाला मेघविजय उपाध्याय वि०सं० १७२१ तीर्थमाला शीलविजय वि०सं० १७४८ तीर्थमाला सौभाग्य विजय वि०सं० १७५० शत्रुञ्जयतीर्थपरिपाटी देवचन्द्र वि०सं० १७६९ सूरतचैत्यपरिपाटी घालासाह वि०सं० १७९३ तीर्थमाला ज्ञानविमलसूरि वि०सं० १७९५ सम्मेतशिखरतीर्थमाला जयविजय गिरनार तीर्थ रत्नसिंहसूरिशिष्य चैत्यपरिपाटी मुनिमहिमा - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525002
Book TitleSramana 1990 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1990
Total Pages118
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size6 MB
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