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________________ ( १३ ). इस प्रकार जैनों में तीर्थङ्करों की कल्याणक-भूमियों को तीर्थन रूप में स्वीकार कर उनकी यात्रा के स्पष्ट उल्लेख सर्वप्रथम लगभग छठी शती से मिलने लगते हैं। यद्यपि इसके पूर्व भी यह परम्परा प्रचलित तो अवश्य ही रही होगी। इस काल में कल्याणक भूमियों के अतिरिक्त वे स्थल, जो मन्दिर और मूर्तिकला के कारण प्रसिद्ध हो गये थे, उन्हें भी तीर्थ के रूप में स्वीकार किया गया और उनकी यात्रा एवं वन्दन को भी बोधिलाभ और निर्जरा का कारण माना गया। निशीथचूर्णी में तीर्थंकरों की जन्म कल्याणक आदि भूमियों के अतिरिक्त उत्तरापथ में धर्मचक्र, मथुरा में देवनिर्मितस्तूप और कोशल की जीवन्तस्वामी की प्रतिमा को पूज्य बताया गया है।' इस प्रकार वे स्थल, जहां कलात्मक एवं भव्य मन्दिरों का निर्माण हुआ अथवा किसी जिन-प्रतिमा को चमत्कारी मान लिया गया, तीर्थ रूप में मान्य हुए। उत्तरापथ, मथुरा और कोशल आदि की तीर्थ रूप में प्रसिद्धि इसी कारण थी। हमारी दृष्टि में सम्भवतः आगे चलकर तीर्थों का जो विभाजन कल्याणकक्षेत्र, सिद्धक्षेत्र और अतिशयक्षेत्र के रूप में हुआ, उसका भी यही कारण था। तीर्थ क्षेत्र के प्रकार -जैन परम्परा में तीर्थ स्थलों का वर्गीकरण मुख्य रूप से तीन वर्गों में किया जाता है - १. कल्याणकक्षेत्र, २. निर्वाणक्षेत्र और ३. अतिशयक्षेत्र । १. कल्याणकक्षेत्र-जैन परम्परा में सामान्यतया प्रत्येक तीर्थंकर के पांच कल्याणक माने गये हैं। कल्याणक शब्द का तात्पर्य तीर्थंकर के जीवनकी महत्त्वपूर्ण घटना से सम्बन्धित पवित्र दिन से है । जैन परम्परा में तीर्थंकरों के गर्भ-प्रवेश, जन्म, दीक्षा (अभिनिष्क्रमण), कैवल्य ( बोधिप्राप्ति ) और निर्वाण दिवसों को कल्याणक दिवस के रूप में माना जाता है। तीर्थंकर की जीवन की ये महत्त्वपूर्ण घटनाएँ जिस नगर या स्थल पर घटित होती हैं उसे कल्याणक-भूमि कहा जाता है। हम तीर्थंकरों की इन कल्याणक भूमियों का एक संक्षिप्त विवरण निम्नतालिका में प्रस्तुत कर रहे हैं--- उत्तरावहे धम्मचक्क, महुर ए देवणि म्मिय थूभो कोसलाए वा जियंतपडिमा, तित्थक राण वा जम्मभूमीओ। --निशीथची. भाग ३. १७९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525002
Book TitleSramana 1990 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1990
Total Pages118
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size6 MB
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