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________________ ( ११० ) रुपये; प्रकाशक-चम्पालाल चौरड़िया, चौरड़िया भवन, चौड़ा रास्ता, जयपुर--३०२००३ । __ प्रस्तुत पुस्तक में कविवर जेठमल जी चौरड़िया द्वारा रचित जम्बूस्वामी के जीवन पर आधारित काव्य जम्बूगुणरत्नमाला एवं कुछ फूटकर रचनाओं का संकलन है । यद्यपि जम्बगुणरत्नमाला विगत ७३ वर्षों में दो बार प्रकाशित हो चुकी है, परन्तु विगत कई वर्षों से अनुपलब्ध थी। प्रख्यात रत्न व्यवसायी श्री चम्पालाल चौरड़िया ने अपने पूर्वज श्रीजेठमल जी द्वारा रचित भक्तिरचनाओं को पुनः प्रकाशित कर एक अभिनन्दनीय कार्य किया है। पुस्तक के प्रारम्भ में प्रो० नरेन्द्र भानावत द्वारा लिखित १२ पृष्ठों की महत्त्वपूर्ण भूमिका भी दी गयी है । पुस्तक की साज-सज्जा उत्तम तथा मुद्रण त्रुटिरहित है । x शांति कृपा बिदु 'स्वामी श्री शान्तिस्वरूपजी म.सा० स्मारिका' -संपा० मुनि श्री आशीष, पृ० १२+२२४; प्रकाशन वर्ष जनवरी १९८९ ई० । __ प्रस्तुत कृति मुनि श्री शान्तिस्वरूपजी म. सा० की जन्म जयन्ती के पावन अवसर पर मनिश्री के उदार श्रावकों द्वारा प्रकाशित की गयी है । इसमें मुनिश्री के प्रेरक एवं अनुकरणीय व्यक्तित्व पर प्रकाश डालने वाले विभिन्न मुनियों एवं श्रावकों द्वारा लिखे गये संस्मरणों को स्थान दिया गया है । पुस्तक पठनीय और संग्रहणीय है। x आयार-सुत्त (आचाराङ्गसूत्र)-संपा-अनुवादक महोपाध्याय श्री चन्द्रप्रभसागर; पृ. ८-२२९; प्रकाशन वर्ष-दिसम्बर १९८९; मूल्य-३० रुपये मात्र । प्रकाशक--प्राकृत भारतीय अकादमी, जयपुर तथा अन्य। आयार-सुत्तं आचाराङ्गसूत्र) जैन आगम साहित्य का एक प्राचीनतम ग्रन्थ है। इसमें जैन मुनि के आचार के जिन सिद्धान्तों और नियमों का मनोवैज्ञानिक दृष्टि से विवेचन किया गया है वह Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525002
Book TitleSramana 1990 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1990
Total Pages118
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size6 MB
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