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जैनविद्या 25
अप्रेल 2011-2012
'भगवती आराधना' के रचनाकार
आचार्य शिवकोटि
- (स्व.) श्री रमाकान्त जैन
स्मरण
शीतीभूतं जगद्यस्य वाचाराध्यचतुष्टयम्।
मोक्षमार्ग स पायान्नः शिवकोटिर्मुनीश्वर।।1।। - जिनके वचनों से सम्यक् दर्शन, सम्यक् ज्ञान, सम्यक् चारित्र और सम्यक् तप-रूप चतुष्टय की आराधना द्वारा मोक्षमार्ग की आराधना कर जगत के जीव शीतलता का अनुभव करते हैं (सुखी होते हैं) वे शिवकोटि मुनीश्वर हमारी रक्षा करें। तस्य (समन्तभद्रस्य) एव शिष्यश्शिवकोटिसूरिस्तपोलतालम्बनदेहयष्टिः। संसार-वाराकर-पोतमेतत्तत्त्वार्थसूत्रं तदलन्चकार
॥2॥ - उन (समन्तभद्र) के ही शिष्य शिवकोटि सूरि हैं जिन्होंने तपश्चरण द्वारा अपनी देहयष्टि लता के समान झुका ली है और जिन्होंने संसार-सागर को पार करानेवाले जहाज के समान इस तत्त्वार्थ सूत्र की रचना की।
* यह लेख लेखक के मरणोपरांत उनके परिवारजनों से प्राप्त हुआ है।