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जनविद्या-13 ]
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घत्ता- यह मगध अधिकारियों द्वारा अत्यन्त विस्तार को प्राप्त हुआ, वह भी शास्त्रानुसार सुनो। इसके पश्चात् मैं स्थिर होकर लगातार कहता हूँ, तीन प्रकार का चरित्र भावपूर्वक सुनो।
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जिस प्रकार वर्धमान जिन उत्पन्न हुए, उनके गणधरों की संख्या तथा संघ की संख्या, फिर जिनेन्द्र का राजगृही आना, उनके अपने गणघरों, पूर्वियों (पूर्वांगधारियों) मुनीन्द्रों के क्षेत्र
और काल का निरूपण, कुलकरों तथा जिनेन्द्र के साथ उत्पन्न क्षत्रियों का गुणकीर्तन और हरिवंश के प्रवर्तन का कथन करता हूं।
जिस प्रकार मुनिसुव्रतनाथ तीर्थंकर उत्पन्न हुए और दुःखी (रो-रोकर जीवन व्यतीत करनेवाला) राजा वसु हुआ वह प्रदर्शित करता हूँ। फिर जिस प्रकार विण्णी राजा के दस पुत्र हुए और मुनि सुप्रतिष्ठित को ज्ञान की उत्पत्ति हुई, जिस प्रकार अपने पुत्रों के पृथ्वी पर निरन्तर भवांतरों को सुनकर अन्धकविण्णि राजा ने इस प्रकार शास्त्रोक्त विधि से प्रव्रज्या ग्रहण की जिस प्रकार वसुदेव की सुन्दर कीड़ाएं, जिस प्रकार देशान्तर जाने का कारण, वहाँ सोमा और विजयसेना इन दो स्त्रियों की प्राप्ति, जिस प्रकार वन में हाथी का दमन किया।
घता-जिस प्रकार श्यामा को प्राप्त किया, जिस प्रकार अंगारक बैरी द्वारा हरण कर आकाश में ले गया, जिस प्रकार गंधर्वसेना के साथ विवाह हुआ, कुमार के जीवन का वृत्तान्त ले जाया गया (आगे वहां से) जानो ।।8।।