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________________ 16 ] [ जनविद्या-13 यो यस्य हरति वित्तं स तस्य जीवस्य जीवितं हरति । पाश्वासकर बाह्य जीवानां जीवितं वित्तम् ॥ 6.61 ।। इसी बात को अमृतचन्द्रसूरि ने पुरुषार्थसिद्ध्युपाय में भी कहा है अर्थानाम य एते प्राणा एते बहिश्चराः पुंसाम् । हरति स तस्य प्राणान् यो यस्य जनो हरत्यर्थान् ।। 103 ।। 4. ब्रह्मचर्याणवत-विद्वान् व्यक्ति परस्त्री को अपनी बहिन, माता और पुत्री के समान मानते हैं । अतः कामाग्नि से तप्त व्यक्तियों को भी उच्छिष्ट के समान परनारी का सेवन नहीं करना चाहिए (6.64-65) । 5. परिग्रहपरिमाणाणुव्रत-सन्तोषी व्यक्ति को वास्तु, क्षेत्र, धन, धान्य, दासी, दास, चतुष्पद तथा भाण्ड इनका परिमाण करना चाहिए (6.73)। लोक में समस्त प्रारम्भ चूंकि परिग्रह के निमित्त से होते हैं, अतः जो व्यक्ति परिग्रह-परिमाण करता है, वह समस्त आरम्भ. को घटाता है (6.75)। गुणवत और शिक्षाव्रत प्राचार्य अमितगति ने गुणव्रत के अन्तर्गत दिग्व्रत, देशव्रत और अनर्थदण्डविरति का तथा शिक्षाव्रत में सामायिक, प्रोषधोपवास, भोगोपभोगपरिमाण तथा अतिथिसंविभाग व्रत का कथन किया है । सल्लेखना-तत्वमति, दुनिवारबुद्धि, धीर मरण के आगमन को जानकर, मरण,का प्रागमन होने पर बान्धववर्ग से पूछकर सल्लेखना करता है (6.98)। काय और कषाय के भली प्रकार कृश करने को सल्लेखना कहते हैं । उपर्युक्त व्रतों के प्रतिचारों का निरूपण भी अमितगति ने किया है। शल्य परित्याग-बाणों की पंक्ति के समान दुःख देनेवाली शल्य कही जाती है। इसके तीन भेद हैं-1. माया, 2. मिथ्या और 3. निदान (7.18)। निदान के दो भेद हैं1. प्रशस्त निदान और 2. अप्रशस्त निदान । प्रशस्त निदान दो प्रकार का होता है-1. मुक्तिनिमित्त, 2. संसारनिमित्त (7.20)। ___ एकादश प्रतिमा-श्रावक की आचार-विधि के भेद-स्वरूप ग्यारह प्रतिमा कही गई हैं--1. दर्शन प्रतिमा, 2. व्रत प्रतिमा, 3. सामायिक प्रतिमा, 4. प्रोषध प्रतिमा, 5. सचित्त - त्याग प्रतिमा, 6. दिवामैथुनत्याग प्रतिमा, 7. ब्रह्मचर्य प्रतिमा, 8. प्रारम्मत्याग प्रतिमा, 9. परिग्रहत्याग प्रतिमा, 10. अनुमतित्याग प्रतिमा और 11. उद्दिष्टत्याग प्रतिमा ।
SR No.524761
Book TitleJain Vidya 13
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPravinchandra Jain & Others
PublisherJain Vidya Samsthan
Publication Year1993
Total Pages102
LanguageSanskrit, Prakrit, Hindi
ClassificationMagazine, India_Jain Vidya, & India
File Size8 MB
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