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________________ जैन विद्या "सेसव लीलिया कोलमसीलिया । पहुरणा दाविया केरण रग भाविया || धूलि - घुसरू ववगय afg | सह जायक विलकोंतलु जडिल्लु ॥ सुर्ब्राह । हो हल्लरु जो जो सुहं पई परणवंतउ ias रिगज्झइ दुक्किय का सुवि मलिगुण रग होइ मणु ।। धूलीधूसरो कडि किंकिणी सरो । रिगरुव मलीलउ कीलइ बालंउ ॥ भूयगणुं ॥ भलेरग । महापुराण कहाँ लो वरणों सुन्दरताइ, खेलत कुंवर कनक श्रांगन में, नैन निरखि छवि छाइ । कुलहि लसत सिर स्याम सुभग प्रति, बहुविधि सुरंग बनाइ । मानो नवघन ऊपर राजत, मघवा धनुष चढ़ाई | प्रति सुदेश मृदु हरत चिकुर मन, मोहन मुख बगराइ । खंडित वचन देत पूरन सुख, घुटुरुन चलत रेनु तन मंडित, अल्प- श्रल्प जलपाइ । सूरदास बलि जाइ ।। " - सूरसागर 75 — दोनों के हृदय में एक-से भाव आ सकते हैं, फिर भी ऐसा हू-बहू नहीं हो सकता । यह जब होता है, तो प्रथम का द्वितीय पर प्रभाव सिद्ध हो ही जाता है । किन्तु केवल एक पद के मिल जाने भर से इतनी बड़ी बात नहीं कही जा सकती । यह सच है कि " वात्सल्य रस के भीतर की जितनी मानसिक वृत्तियों और दशाओं का अनुभव और प्रत्यक्षीकरण सूर कर सके, उतनी का और कोई नहीं । इसका कारण था - महाकाव्य का रचयिता बाल-वर्णन में अधिक नहीं खप सकता, उसे कथानक के साथ आगे बढ़ जाना होता है । महाकाव्य समूचे मानव-जीवन को लेकर चलता है, उसके एक अंश को लेकर नहीं । बाल-पन समूचे जीवन का एक हिस्सा भर ही तो है । सूरसागर महाकाव्य नहीं है । वह कृष्ण के बाल और कैशोररूप की विविध मनोदशाओं का मुक्तक शैली में निरूपण है । उन्हें विविध कोरणों से बाल-वर्णन के चित्ररण का अवसर था । पुष्पदंत महाकाव्य के प्रणेता थे । उन्हें कथा - प्रबन्ध का निर्वाह करना था। इस बीच बाल- दशा उकेरने का जितना अवकाश हो सकता था, उन्होंने दिया। रामचरितमानस के रचयिता तुलसी के साथ भी यही बात थी । वे राम के बाल रूप को वैसा अंकित न कर सके जैसा कि सूर ने कृष्ण का किया । इसमें महाकाव्य का कथा-प्रवाह बाधक था । यद्यपि पुष्पदंत ने अपनी कविता को जिन चरणों की भक्ति से ही स्फुरायमाण माना है, जीविका निर्वाह के खयाल से नहीं, किन्तु जिन भक्ति अध्यात्ममूला होने के कारण
SR No.524752
Book TitleJain Vidya 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPravinchandra Jain & Others
PublisherJain Vidya Samsthan
Publication Year1985
Total Pages152
LanguageSanskrit, Prakrit, Hindi
ClassificationMagazine, India_Jain Vidya, & India
File Size14 MB
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