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जनविद्या
1.2.9 महाप्राण ध्वनियों में से केवल महाप्राणत्व का रह जाना
ख - ह मुख
सम्मुख
संमुह
दीर्घ
घ ध
- -
ह ह
दीहर, दीह
महु
पयोहर
मधु पयोधर दधि अवधीरिय
दहि
अवहेरिय
भ
-
ह
प्रभु
पह
अभिमान शोभित विच्छोभ
अहिमाण सोहिय
विच्छोह
1.2.10 व्यंजन-गुच्छ तथा व्यंजन-संयोग 1.2.10.1 द्वित्व की प्रवृत्ति
द्वित्व की यह प्रवृत्ति पालि काल से ही प्रारंभ हो गई थी।
दो भिन्न ध्वनियों के स्थान पर द्वित्व
उब्बद्ध रत्ति
-
उद्बद्ध रक्ति शत्रु भक्ति
सत्तु
भत्ति
रेफ के साथ ध्वनि के स्थान पर द्वित्व
दुर्गम - दुग्गम निर्जन
णिज्जण चक्रवाल - चक्कवाल
1.2.10.2 दो भिन्न ध्वनियों के स्थान पर तीसरी ध्वनि
स्तेन
थेरण (नोट-सामान्यत: स्त के स्थान पर "त्थ" भी मिलता है, जैसे - हस्त - हत्थ, हस्ति - हत्थि, प्रशस्त - पसत्थु) ख
स्क स्कंध
-
ETET