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________________ 138 जैनविद्या स्वयंभू विशेषांक के माध्यम से पाठकों को आपने चिन्तन करने के लिए प्रेरित किया है। पउमचरिउ के शोधपूर्ण लेखों से अनुप्राणित यह विशेषांक पठनीय एवं संग्रहणीय है। अनुसंधान करनेवालों के लिए स्वयंभू विशेषांक में बहुत उपयोगी एवं महत्त्वपूर्ण सामग्री उपलब्ध है।" (16) पं० बंशीधरजी शास्त्री, बीना - "जैनविद्या" का यह अंक स्वयंभूदेव के विषय में महत्त्वपूर्ण विस्तृत सामग्री से ओतप्रोत है।" (17) डॉ. लक्ष्मीनारायण दुबे, एम०ए० (हिन्दी, इतिहास) पीएच० डी०, साहित्यरत्न, साहित्यमार्तण्ड, साहित्यमणि, साहित्यमनीषी, रीडर - हिन्दी विभाग, सागर विश्वविद्यालय - "अर्द्धवार्षिक शोधपत्रिका "जनविद्या" ने अपने प्रवेशांक के द्वारा ही हिन्दी वाङमय में ऐतिहासिक तथा अविस्मरणीय स्थल निर्मित कर लिया है। उसका स्वयंभू विशेषांक हिन्दी तथा प्राच्यविद्या की अमूल्य थाती है जिसका बौद्धिक, अकादमिक, शैक्षिक तथा शोधजगत् में सर्वत्र हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन होना चाहिये । प्रस्तुत विशेषांक एक प्रकार से महाकवि स्वयंभू पर एक संदर्भ ग्रंथ तथा ज्ञानकोष का कार्य करता है । स्वयंभू अपभ्रंश के वाल्मीकि थे । उनके व्यक्तित्व तथा कर्तृत्व के सभी पक्षों तथा तत्त्वों का इसमें सुरुचिपूर्ण ढंग से समाहार हुआ है।" (18) गे० पन्नालाल साहित्याचार्य, अध्यक्ष - प्र० भा० दि० जैन विद्वत्परिषद्, सागर - "जैनविद्या संस्थान का ध्यान अपभ्रंश भाषा के साहित्य प्रकाशन की ओर गया, यह अच्छी बात है । यह संस्थान अन्य प्रकाशनों का मोह छोड़ कर अपभ्रश साहित्य प्रकाशन में ही अपनी पूर्ण शक्ति लगा दे तो इस साहित्य का उद्धार सरलता से हो सकता है।" (19) वीरवाणी - जयपुर, पाक्षिक, वर्ष 36, अंक 19-20, दि० 18.7.84, पृष्ठ 431 - "जैनविद्या संस्थान, श्रीमहावीरजी की ओर से प्रकाशित एक महाकवि की कृतियों पर विश्लेषणात्मक विभिन्न अधिकारी लेखकों द्वारा सर्वांग विवेचन एक अनूठा और सराहनीय प्रयास है।" (20) डॉ. शशिभूषण द्विवेदी, विभागाध्यक्ष, संस्कृत, शास० म० वि०, पालमपुरा (भिण्ड) "निश्चितरूप से यह एक ऐसी मौलिक पत्रिका है जिसमें न केवल जैनधर्म अपितु सार्वभौमिक मानवता के लिए सुखद और प्रेरणास्पद दिव्य सन्देश है।"
SR No.524752
Book TitleJain Vidya 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPravinchandra Jain & Others
PublisherJain Vidya Samsthan
Publication Year1985
Total Pages152
LanguageSanskrit, Prakrit, Hindi
ClassificationMagazine, India_Jain Vidya, & India
File Size14 MB
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