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________________ चौदह गुण स्थान : एक विमर्श - मुनि मदन कुमार समवायांग में चौदह जीव स्थान का निरूपण है। उत्तरवर्ती साहित्य में ये 'गुणस्थान' के नाम से प्रसिद्ध हैं। कर्म ग्रन्थ में चौदह भूतग्राम को चौदह जीव स्थान और चौदह जीव स्थान को चौदह गुणस्थान कहा गया है। आगम साहित्य में गुणस्थान शब्द का प्रयोग प्राप्त नहीं है। गोम्मट सार में जीवों को 'गुण' कहा गया है। उसके अनुसार चौदह जीवस्थान कर्मों के उदय, उपशम, क्षय और क्षयोपशम आदि की भावजनित अवस्थाओं से निष्पन्न होते हैं। परिणाम और परिणामी का अभेदोपचार करने पर जीवस्थानों को गुणस्थान की संज्ञा दी गई है। धवला टीका में औदयिक आदि पाँच भावों को गुण कहा गया है। इन गुणों के साहचर्य से जीव को भी गुण कहा गया है। जीव स्थान को उत्तरवर्ती साहित्य में इसी अपेक्षा से गुणस्थान कहा गया है। जैन सिद्धांत दीपिका में आचार्य श्री तुलसी ने लिखा- 'कर्म विशुद्धेर्मार्गणापेक्षाणि चतुर्दशजीवस्थानानि' कर्मविशुद्धि की तरतमता की अपेक्षा से जीवों के चौदह स्थान होते हैं। धर्म और धर्मी में अभेद का उपचार करने पर जीवस्थान गुणस्थान कहलाते हैं। चौदह गुणस्थान आत्मविशुद्धि की क्रमिक भूमिकाएँ हैं। इसमें समस्त संसारी जीवों का समावेश हो जाता है। गुणस्थान छूटने के बाद जीवमुक्त हो जाता है। मुक्त आत्माओं में गुण होते हैं किन्तु गुणस्थान नहीं। इन चौदह गुणस्थानों का आधार कर्म विलय है। आठ कर्मों में प्रधान कर्म मोह कर्म है। उसके उदय से जीव मलिनता को और अनुदय से विशद्धता को अर्जित करता है। मोहकर्म की २८ प्रकृत्तियाँ हैं। प्रथम गुणस्थान में वे सभी उदय में रहती हैं और ग्याहरवें गुणस्थान में वे उपशम को तथा बारहवें गुणस्थान में क्षय को प्राप्त हो जाती हैं। इससे स्पष्ट है कि गुणस्थानों की रचना का मौलिक आधार मोह कर्म का विलीनीकरण है। मोह विलय के पश्चात ही तेरहवें गुणस्थान में घाति त्रिक का क्षय होता है और आत्मा सर्वज्ञ दशा को प्राप्त हो जाती है। चौदवें गुणस्थान में आत्मा शैलेशी अवस्था को प्राप्त 40 - तुलसी प्रज्ञा अंक 128 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524623
Book TitleTulsi Prajna 2005 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShanta Jain, Jagatram Bhattacharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2005
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size6 MB
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