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________________ भगवान महावीर का जन्म स्थल : एक पुनर्विचार जैन धर्म में चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर को एक ऐतिहासिक व्यक्ति के रूप में निर्विवाद रूप से मान्यता प्राप्त हो चुकी है। फिर भी दुर्भाग्य का विषय यह है कि न केवल जन्म एवं निर्वाण काल के संबंध में अपितु उनके जन्मस्थल, कैवल्यज्ञान स्थल और निर्वाणस्थल को लेकर भिन्न-भिन्न प्रकार की मान्यताएं प्रचलित हैं । मात्र यही नहीं, इन मान्यताओं के पोषण के निमित्त भी परम्पराओं के घेरे में आबद्ध होकर येन-केन-प्रकारेण अपने पक्षों को सिद्ध करने के लिये प्रयत्न और पुरुषार्थ भी किया जा रहा है। विगत पच्चास वर्षों में इन सब समस्याओं को लेकर विभिन्न पुस्तिकाएँ और लेख आदि भी लिखे गये हैं। यह कैसा दुर्भाग्य है कि भगवान के समकालीन भगवान बुद्ध के जन्म स्थल, निर्वाण स्थल, ज्ञानप्राप्ति स्थल और धर्मचक्रप्रवर्तन स्थल को लेकर सम्पूर्ण बौद्ध समाज एकमत है और उन ऐतिहासिक स्थलों के विकास के लिए प्राणपण से जुटा हुआ है, जबकि जैन समाज आज अपने क्षुद्र स्वार्थी अथवा अहंकारों के पोषण के लिये इस संबंध में मतैक्य नहीं बना सका। भगवान महावीर के जन्म स्थल को लेकर वर्तमान में तीन मान्यताएं प्रचलित हैं (1) अधिकांश विद्वद्जन एवं इतिहासवेत्ता एवं केन्द्रशासन वैशाली के निकट कुण्डग्राम को उनका जन्म स्थान मानते हैं। (2) दिगम्बर परम्परा राजगृह और नालन्दा के निकटवर्ती बड़गांव या तथाकथित कुण्डलपुर को महावीर का जन्मस्थल मानते हैं । (3) श्वेताम्बर परम्परा बिहार में जमुही के निकट लछवाड़ को महावीर का जन्म स्थल मान रही हैं । तुलसी प्रज्ञा जनवरी-मार्च, डॉ. सागरमल जैन Jain Education International 2005 For Private & Personal Use Only 1 www.jainelibrary.org
SR No.524622
Book TitleTulsi Prajna 2005 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShanta Jain, Jagatram Bhattacharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2005
Total Pages110
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size5 MB
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