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________________ प्रकार प्रस्तुत में कह सकते हैं कि वायर में से प्रवाहित होती इलेक्ट्रीसीटी में प्रकाश वगैरह लक्षण बाहर से नहीं दिखने पर भी अन्दर से तो वह विलक्षण प्रकार से सुलगती ही है। इसीलिए उसको हाथ लगाते ही भयंकर जलन होती है। इसीलिए वह सजीव अग्नि ही है। बड़े-बड़े थम्भों पर लगे हुए हाईटेन्शन वायर में से ए.सी. या डी.सी. पावर पसार होता है तब उसके नीचे से पसार होने के समय उस ट्वीस्टेड वायर में ज्यादा प्रमाण में लगातार होते हुए स्पार्कस की आवाज हमें सुनाई देती है। वर्षा हो रही हो, उस समय तो ए.सी. या डी.सी. पावर वाले खुले वायर में होते हुए स्पार्क अत्यन्त बड़ी आवाज में सुनाई देते हैं। यह स्पार्क अग्निकाय नहीं तो क्या है ? ___ हाईटेन्शनवाले दो खुले वायर नज़दीक में आए तब भी उनमें से प्रकाश-चिनगारियाँ उत्पन्न होती ही हैं। उस अवस्था में जिस वायर में वोल्टेज (विद्युत् दबाव) ज्यादा हो उसमें से कम वोल्टेज वाले वायर में प्रकाश के स्वरूप में इलेक्ट्रीसीटी पसार होती हुई दिखाई देती ही है। हाई इलेक्ट्रीसीटी के बड़े गुंबज में भी वायु के संसर्ग से महाकाय चिनगारियाँ उत्पन्न होती हैं। इन्टरनेट द्वारा मिलती जानकारी से यह बात अत्यन्त स्पष्ट हो जाती है। Show our Van de Graff producing sparks. The Sparks are going from the big domes to one of two small spheres that are on telescoping grounded poles. The sparks are produced when the voltage on the domes gets large enough that it ionizes the air, turning it from an insulator into a conductor. This does not all happen at once, but it does happen very quickly - a typical spark (or lightning flash) lasts less than 1/1000 of a second! "वान-डे-ग्राफ" चिनगारी किस तरह से उत्पन्न करता है ? चिनगारी बड़े गुंबज पर से छोटे गोले की तरफ जाती है। जब गुंबज पर का वोल्टेज (=विद्युत् दबाव) बहुत बढ़ जाता है तब वह आसपास की हवा को आयनीकृत (आयोनाइज्ड ) कर देता है। (परमाणु अथवा मूलकण एक अथवा ज्यादा इलेक्ट्रोन को प्राप्त करके अथवा गुमा कर विद्युत्भार प्राप्त करता है उस समय उत्पन्न होने वाली रचना को आयन कहते हैं। (विज्ञानकोश-रसायन विज्ञान-भाग-५, ले.श्रीमती एल.एस.देसाई, पृष्ठ-४२)) जिससे हवा अवरोधक में से वाहक बन जाती है। यह प्रक्रिया बहुत तेजी से होती है। एक सैकंड के हजारवें भाग में वह चिनगारियाँ उत्पन्न होती हैं। Only one spark can be produced at a time. Although sparks can come very quickly. Each spark drains the electricity off the domes and the तुलसी प्रज्ञा अप्रैल-जून, 2004 - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524619
Book TitleTulsi Prajna 2004 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShanta Jain, Jagatram Bhattacharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2004
Total Pages110
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size6 MB
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