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प्रक्रिया से भिन्न है। इसके आधार पर सामान्य 'अग्नि' में ऑक्सीजन की अनिवार्यता को अस्वीकार नहीं किया जा सकता। दूसरी बात है- बल्ब में तार के प्रकाशित होने की। उसमें होने वाली प्रक्रिया अग्नि' की सामान्य क्रिया तो है ही नहीं, साथ ही जैसे प्रश्नकर्ता ने स्वयं स्वीकार किया है "क्लोरीन-फ्लोरीन" वाली विशिष्ट क्रिया भी वहां नहीं है। फिर यहाँ "ऑक्सीजन के बिना भी आग लगती है" का कथन कहाँ तक संगत होता है ?
अग्नि के जो भी रूप बताएं गये हैं, वे सब बिना ऑक्सीजन के संभव ही नहीं है। बल्ब के संदर्भ में तो स्पष्ट है कि वहाँ क्लोरिन, फ्लोरिन से जलने वाली क्रिया होती ही नहीं है। वैसे तो शास्त्रोक्त नरक में अचित्त अग्नि में भी उष्मा प्रकाश आदि है पर ऑक्सीजन नहीं है। वर्तमान संदर्भ में मूल प्रश्न है-क्या बल्ब में जहाँ उक्त पदार्थों की प्रक्रिया नहीं है तथा ऑक्सीजन भी नहीं है, वहाँ आग जल सकती है? इसका स्पष्ट उत्तर है-नहीं।
प्रश्न-9- "दूसरी एक महत्त्व की बात यह है कि शून्यावकाश में भेजे जाने वाले सेटेलाइट के अन्दर मशीन के कुछ विभाग में Arking बार-बार होता ही है। छोटी-छोटी चिनगारियाँ वहाँ उत्पन्न होती रहती है। Arking का प्रमाण यदि बढ़ जाता है तो वायर जल जाता है। यह बात ISRO (Indian Space Research Organisation) के PCED विभाग में कार्यरत स्पेस-शटल के प्रोग्राम में होशियार वैज्ञानिक श्री पंकजभाई शाह और श्री किशोरभाई दोमडीया (सायन्टीस्ट, इन्जीनियर S.E.) द्वारा जानकारी प्राप्त हुई है, बहुत अच्छी बात है। ऑक्सीजन आदि से रहित शून्यावकाश में भी सेटेलाइट के अन्दर चिनगारी स्वरूप अग्निकाय जीव उत्पन्न हो जाते हैं। शून्यावकाश में भी सेटेलाइट में Arking कम करने के लिए वैज्ञानिकों को कठोर परिश्रम करना पड़ता है। वास्तव में उत्पन्न होता हुआ अग्निकाय स्वप्रायोग्य वायु किसी भी स्थान में, किसी भी प्रकार से प्राप्त कर ही लेता है।18
उत्तर- यह बात तो इस बात को सिद्ध कर देती है कि Arking से उत्पन्न चिनगारियां मूलत: अग्नि है ही नहीं। वहाँ विद्युत् प्रवाह का डिस्चार्ज ही चिनगारी के रूप में विकिरण हो रहा है। शून्यावकाश में प्रकाश का विकिरण हो सकता है, इसका यह प्रत्यक्ष प्रमाण है। वहाँ वायु का अभाव है, इसलिए अग्निकाय जीव की उत्पत्ति संभव ही नहीं है। यहां पर भी पहले अग्नि को मानकर वहाँ वायु की उत्पत्ति को जबरदस्ती मनवाने की कोशिश की गई है। स्पार्क के रूप में होने वाली चिनगारियां मशीन में केरोसीन में भी आग नहीं लगा सकती, क्योंकि वहाँ ऑक्सीजन का अभाव है।
ISRO के वैज्ञानिकों का संदर्भ "स्पार्क अग्नि नहीं है, किन्तु केवल भौतिक ऊर्जा का विकिरण मात्र है," इस बात को ही पुष्ट करता है। इससे स्पेस में शून्यावकाश में 'ऑक्सीजन' का अस्तित्व सिद्ध करने का प्रयत्न किस वैज्ञानिकता का परिचायक है? अभयदेवसूरि के कथन को भी इसके साथ जोड़ना केवल अपने पूर्वाग्रह की पुष्टि करने का 74 -
- तुलसी प्रज्ञा अंक 123
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