SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 62
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सकता है जैसा फ्यूज में होता है। बल्ब में फिलामेंट बिना पिघले गर्म होने के बाद प्रकाश करता है। 6. इलेक्ट्रीक बल्ब* दो प्रकार के होते हैं(1) निर्वात (Vacuum) (2) निष्क्रिय गैस वाले निर्वात में रखे हुए टंगस्टन फिलामेंट (तंतु) में जब विद्युत् प्रवाह बहता है तब उसके अवरोध के कारण उसमें ताप और प्रकाश दोनों पैदा होते हैं। यह अग्नि की भांति जलने की क्रिया नहीं है। यहाँ ताप व प्रकाश के उद्गम का एक अन्य तीसरा कारण विद्युत् प्रवाह है तथा उस सुचालक पदार्थ की अवरोधकता एवं उच्च तापक्रम (लगभग 3000 डिग्री से.) पर भी बिना पिघले प्रकाश किरणें पैदा करने की क्षमता है। जब पहला बल्ब थोमस आल्वा एडिसन ने बनाया था तो निर्यात में फिलामेंट रखा गया था। लेकिन टंगस्टन धीरे-धीरे वाष्पीकृत होकर दीवारों पर जमता गया और बल्ब भूरा होने लगा। इसको कम करने के लिए निष्क्रिय गैसों का प्रयोग किया गया। वाष्पीकरण से फिलामेंट पतला होकर खत्म हो जाता है। चूंकि बल्ब में जलने की प्रक्रिया का ही अभाव है, बल्ब में वायु की आवश्यकता ही नहीं है। फिलामेंट जब किसी निमित्त से पिघल जाता है जिसे हम फ्यूज होना कहते है, तब बल्ब स्वतः बुझ जाता है। फिलामेंट फ्यूज होने के निमित्तों में वाल्टेज बढ़ जाना भी एक निमित्त है। जैसे फूंक मारने पर मोमबत्ती बुझ जाती है, वैसे बल्ब वायु से बुझ जाता है-ऐसा मानना युक्तिसंगत नहीं है। प्रश्न - 3 जब ट्यूब लाइट उड़ जाती है तब उसके अन्दर के भाग में साइड में कार्बन का जो कालापन सभी को दृष्टिगोचर होता है वह कहाँ से आया? एब्सोल्युट वेक्युम हो तो ट्युबलाइट में किसी भी प्रकार के वायु का प्रवेश हो ही नहीं सकता। विज्ञान के सिद्धान्त के अनुसार तो फोस्फरस का ऑक्सिडेशन होने से वहाँ उसका कार्बन में रूपान्तर हो जाता है। प्रस्तुत विचार में ऑक्सिडेशन का मतलब है ओक्सीजन के साथ संयुक्त होने से परमाणु में से अथवा परमाणु समूह में से इलेक्ट्रोन के निकल जाने से मूलभूत द्रव्य का नाश होने की प्रक्रिया। यदि ट्यूबलाइट में ऑक्सीजन इत्यादि वायु का सर्वथा अभाव हो तो ऑक्सिडेशन की प्रक्रिया शुरू ही नहीं हो सकती। तो फिर ट्यूबलाइट में फोस्फरस का कार्बन में रूपान्तर कैसे हो सकता है? हाँ, दूसरी महत्त्व की बात है कि ट्यूब उड़ जाती है तभी ओक्सीडेशन की प्रक्रिया का प्रारम्भ होता है, ऐसी बात नहीं है। परन्तु ट्यूब में जब-जब इलेक्ट्रीसीटी प्रसार होती है, तुलसी प्रज्ञा जनवरी-मार्च, 2004 - 57 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524618
Book TitleTulsi Prajna 2004 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShanta Jain, Jagatram Bhattacharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2004
Total Pages114
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy