________________
नाए मानव का जन्म
कल की अगवानी में नया मानव जातिवाद और सम्प्रदायवाद की सरहदों से मुक्त होगा। नया मानव साम्प्रदायिक नहीं, धार्मिक होगा। नया मानव अहिंसा के प्रति आस्थाशील होगा। वह हिंसा के हथियार को तीखा नहीं करेगा। नया मानव लोकतंत्र की जड़ें काटेगा नहीं, उनको और अधिक गहराई तक पहुंचाएगा। नया मानव पर्यावरण को प्रदूषित नहीं करेगा, उसकी सुरक्षा के लिए जागरूक रहेगा। नया मानव अर्थ को जीवन का साधन मानेगा, उसे साध्य मानकर नहीं रुकेगा। नया मानव नशे की गिरफ्त से मुक्त होगा। नया मानव युगशैली के प्रवाह में नहीं बहेगा, उसकी सुचिन्तित जीवनशैली होगी।
नाए मानव का सम्बन्ध जन्म से नहीं, निर्माण से जोड़ना होगा। नर से मेरा अभिप्राय है चिन्तन की नवीनता, सृजनशीलता, वर्चस्व और विधायक दृष्टिकोण। नव मानव के निर्माण की यही प्रक्रिया है।
सही समय पर सही दिशा में किया गया पुरुषार्थ निश्चित रूप से फलदायी होगा, इस आस्था के साथ नया प्रस्थान हो।
- अनुशास्ता आचार्य तुलसी
4
-
तुलसी प्रज्ञा अंक 122
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org