________________
51. वही, 1/412 52. वही, 1/413 53. वही, 2/129 54. वही, 2/129 55. वही, 8/467, पंचविहे पोग्गलपरिणामे पण्णत्ते, तं जहा–वण्णपरिणामे, गंधपरिणामे, रसपरिणामे,
फासपरिणामे, संठाणपरिणामे। 56. ठाणं, 4/135, चउव्विहे पोग्गलपरिणामे पण्णत्ते, तं जहा–वण्णपरिणामे, गंधपरिणामे, रसपरिणामे,
फासपरिणामे। 57. तत्त्वार्थसूत्र, 5/23 58. वही, 5/24 59. तत्त्वार्थधिगमभाष्यवृत्ति, 5/24, पृ. 364,.............स्पर्शादयः परमाणुषु स्कन्धेषु ___च..............शब्दादयः पुनः स्कन्धविषया एव नाणुविषयाः। 60. अंगसुत्ताणि 2 (भगवई), 18/111 61. वही, 20/26 62. वही, 18/111-117 63. वही, 20/27-36 64. वही, 20/27-35 65. वही, 20/36 66. वही, 18/174-176 67. वही, 18/177 68. वही, 18/178-179 69. वही, 8/1 70. तत्त्वार्थाधिगमभाष्य वृत्ति, 5/24, पृ. 360, विस्रसा-स्वभावः प्रयोगनिरपेक्षो विस्रसाबन्धः । 71. भगवतीवृत्ति पत्र 328, जीवव्यापारेण शरीरादितया परिणताः । 72. तत्त्वार्थाधिगमभाष्य वृत्ति, 5/24, पृ. 360, प्रयोगो जीवव्यापारस्तेन घटितो बंधः प्रायोगिकः । 73. तत्त्वार्थवार्तिक, 5/24, पृ. 487, प्रयोगः पुरुषाकायवाङ्मनसंयोगलक्षणः । 74. तत्त्वार्थाधिगमभाष्य वृत्ति, 5/24, पृ. 360, प्रयोगावित्रसाभ्यां जीवप्रयोगसहचरिताचेतनद्रव्य
परिणतिलक्षणः स्तम्भकुम्भादिर्मिश्रः । 75. भगवती वृत्ति, पत्र 328, .........प्रयोगपरिणतेषु विस्रसा सत्यपि न विवक्षिता इति।
18
-
-
तुलसी प्रज्ञा अंक 119
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org