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________________ 4. वही, पृ. 10 5. डॉ. सियाराम सक्सेना प्रवर श्री जिनेश्वर विभूति, सेवाधाम प्रकाशन, बिलासपुर (म.प्र.), पृ. 7, संस्करण, 1981 ई. 6. महेशचन्द्र श्रीवास्तव - जैन धर्म एवं दर्शन, पृ. 197 7. आचार्य महाप्रज्ञ - जैनदर्शन और अनेकान्त - आदर्श साहित्य संघ चूरू (राजस्थान), पृ. 37 8. आचार्य महाप्रज्ञ - जैन तत्त्व चिंतन - आदर्श साहित्य संघ चूरू (राजस्थान), पृ. 29-30, संस्करण 1959 10. हिन्दी साहित्य की भूमिका, राजकमल प्रकाशन, दिल्ली 6, संस्करण 1969 ई., पृ. 171 11. आनंदघन पद संग्रह, पद 27, पृ. 74 12. सं. मोहनलाल दुलीचंद देसाई - आनंदकाव्य महोदधि मौलिक 7- जीवनचंद सकरचंद जवेरी, सूरत (1926 ई.) - पंडित समयसुंदर, चौ. 2, पृ. 100 13. सं. अगरचंद, भंवरलाल नाहटा ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, श्री पूज्यवएण गीतम, पृ. 116-117, छंद 61-67 14. तथर कथ - आदर्श साहित्य संघ, चूरू, पृ. 26 15. भजन संगह - धर्मामृत, प्रस्तावना, पृ. 18 16. मध्यकालीन जैन साहित्य में तत्कालीन लोकमानस की चेतना के कारण निजंधरी कार्यकलापों का वर्णन हुआ है। किंतु आज के साहित्य में तर्क संगति का पूर्ण समावेश है। I 17. सं. नारायसिंह भाटी -- परम्परा, भाग 48 (1978 ई.) - राजस्थानी जैन साहित्य में ऐतिहासिक सामग्री, पृ. 58 18. कालूयशोविलास - आदर्श साहित्य संघ, चूरू, पृ. 65-66 तुलसी प्रज्ञा अक्टूबर-दिसम्बर, 2002 Jain Education International (राजस्थानी विभाग) जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय के - 8, सेक्टर 5, एस.सी. बोस कॉलोनी, डिफेंस लेब. रोड़, रातानाडा, जोधपुर (राजस्थान) For Private & Personal Use Only 1565 91 www.jainelibrary.org
SR No.524613
Book TitleTulsi Prajna 2002 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShanta Jain, Jagatram Bhattacharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2002
Total Pages138
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size7 MB
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