________________
स्थान प्रतीक
प्राकृतिक प्रतीक
खाद्य पदार्थ के प्रतीक
२. शुभाशुभ के अभिव्यंजक
शुभ : जगई, दोगुंछी, लाढे, धयसित्त व्व पावए, भारुंडपक्खी, पत्तं, चेइए वच्छे, कुमुदं, कंथए आसे, सूरे दढपरक्कमे, कुंजरे, वसहे, सीहे, वासुदेवे, चक्कवट्टी महिड्डिए, सक्के, दिवायरे, उडुवई चंदे, कोट्ठागारे, जंबू दुमे, सीया नई, मंदरे गिरी, सयंभूरमणे उदही, विहारं, सिरं, कावोया विची, विज्जुसोयामणिप्पभा, भाणू, सारही, अंतकिरियं ।
अशुभ : मिए, तमं तमेण, साहाहि रुक्खो, किंपागफलाणं, दुट्ठस्सो, सप्पे, इंदियचोरवस्से । ३. मूर्त्तत्व - अमूर्त्तत्व के आधार पर अमूर्त के लिए मूर्त प्रतीक :
मिए, धयसित्त व्व पावए, भारुंडपक्खी, कुमुदं, सिरं, किंपागफलाणं, दुट्ठस्सो, सप्पे अंतकिरिय
अमूर्त के लिए अमूर्त प्रतीक : मूर्त के लिए मूर्त प्रतीक :
४. लिंग के आधार पर
स्त्रीलिंग : पुल्लिंग :
लढे
जगई, घयसित व्व पावए, चेइए वच्छे, कुमुदं, दिवायरे, उडुवई चंदे, जंबू दुमे, सीया नई, मंदरे गिरी, सयंभूरमणे उदही, तमं तमेणं, किंपागफलाणं, विज्जुसोया - मणिप्पभा, भाणू । संखम्मि पयं
नपुंसकलिंग :
Jain Education International
जगई, लाढे, चेइए वच्छे, संखम्मि पयं, कंथए आसे, सूरे दढपरक्कमे, कुंजरे, वसहे, सीहे, वासुदेवे, चक्कवट्टी महिड्डिए, सक्के, दिवायरे, उडुवई चंदे, कोट्ठागारे, जंबू दुमे, सीया नई, मंदरे गिरी, सयंभूरमणे उदही, विहारं, तमं तमेणं, साहाहि रुक्खो, विज्जुसोयामणिप्पभा, भाणू, सारही अंतकिरियं ।
,
जई, दोगुंछी, सीया नई, कावोया वित्ती, विज्जुसोयामणिप्पभा । मिये, लाढे, धयसित्त व्व पावए, भारुंडपक्खी, चेइए वच्छे, कंथए आसे, सूरे दढपरक्कमे, कुंजरे, वसहे, सीहे, वासुदेवे, चक्कवट्टी महिड्डिए, सक्के, दिवायरे, उडुवई चंदे, कोट्ठागारे, जंबू दुमे, सीया नई, मंदरे गिरी, सयंभूरमणे उदही, साहाहि रुक्खो, दुट्ठस्सो, भाणू, सारही सप्पे, इंदियचोरवस्से |
तुलसी प्रज्ञा अक्टूबर-दिसम्बर, 2002
पत्तं, कुमुदं संखम्मि पयं, विहारं, तमं तमेणं, सिरं, किंपागफलाणं, अन्तकिरियं ।
For Private & Personal Use Only
41
www.jainelibrary.org