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सन्दर्भ - 1. भद्रबाहु संहिता, सं. व अनु.--- नेमिचन्द्र शास्त्री, पृ. 52-63 2. भारतीय ज्योतिष, नेमिचन्द्र शास्त्री, पृष्ठ 84, 1999, अंगविज्जा, मुनि पुण्यविजयजी, प्राकृत ग्रन्थ
परिषद्, वाराणसी, वि.सं. 2054, पृ. 57 3. भारतीय ज्योतिष, नेमिचन्द्र शास्त्री, पृ. 82-83 4. वही, पृ.86-87
केवलज्ञान प्रश्न चूड़ामणि, सं. व अनु.- नेमिचन्द्र शास्त्री, पृ. 39-35 6. लक्ष्मीचन्द जैन, तिलोयपण्णत्ति का गणित, सोलापुर, पृ. 141 7. कुवलयमाला, उद्योतनसूरिकृत, सं.-आदिनाथ नेमिनाथ उपाध्ये, भारतीय विद्या भवन, 1970 8. भारतीय ज्योतिष, नेमिचन्द्र शास्त्री, पृ. 92 9. आर.सी. गुप्ता, महावीराचार्य, मैथेमैटिक्स एजुकेशन, खण्ड-8, नं.-1, बी-1974, पृ. 17 10. भारतीय ज्योतिष, पृ. 98 11. वही, पृ. 98-99 12. वही, पृ. 99 13. वही, पृ. 104 14. वही, पृ. 105 15. शंकर बालकृष्णदीक्षित, भारतीय ज्योतिष, लखनऊ, 1963, पृ. 624 16. भारतीय ज्योतिष, नेमिचन्द्र शास्त्री, पृ. 105 17. भुवनदीपक, पद्मप्रभसूरिकृत, व्यां.----डॉ. कामेश्वर उपाध्याय, वाराणसी, पृ. 14 18. एस.आर. शर्मा द्वारा प्रस्तुत निबंध ठक्कुरफेरू' जैन गणित पर अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनार, हस्तिनापुर,
26-28, अप्रैल, 1985 19. भारतीय ज्योतिष, नेमिचन्द्र शास्त्री, पृ. 107 20. वही, पृ. 108 21. वही, पृ. 108 22. वही, पृ. 113 23. हस्त संजीवन, मेघविजयगणिकृत, अ. व सं.डॉ. सुरेशचन्द्र मिश्र, भारतीय ज्योतिष, नेमिचन्द्र
शास्त्री, पृ. 114 24. भारतीय ज्योतिष, नेमिचन्द्र शास्त्री, पृ. 114 25. वही, पृ. 114
शोध छात्र प्राकृत एवं जैन आगम विभाग
जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) लाडनूं (राजस्थान)
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तुलसी प्रज्ञा अंक 118
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