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________________ जैन साधना पद्धति :मनोऽनुशासनम् -डॉ. हेमलता बोलिया साधना वह वैचारिक प्रक्रिया, सामाजिक आचरण अथवा धार्मिक अनुशासन है, जिसके अभ्यास द्वारा अपने व्यक्तित्व को सार्थक करते हुये अपने ध्येय को प्राप्त करना चाहते हैं । साधना शब्द की निष्पत्ति सिध-से प्रेरणार्थ में णिच् प्रत्यय लगने पर धातु को साध से भावकर्मार्थ यच प्रत्यय और स्त्रीत्व विवक्षा में टाप् प्रत्यय लगकर हुई है, जिसका अर्थ है निष्पन्नता, पूर्ति, पूजा, अर्चना, संराधना या प्रसादन। मानवीय क्षमता के विकास को ध्यान में रखकर तत्त्ववेत्ता महापुरुषों ने खान-पान से लेकर जीवन के प्रत्येक क्षेत्र के विषय में होने वाली क्रियाओं पर सूक्ष्म विचार किया। प्रत्येक क्रिया को धर्ममय कहकर उसे सावधानी पूर्वक सचेत रूप से करने का निर्देश दिया। इन आचार्यों द्वारा निर्देशित सम्पूर्ण जीवन ही साधना बन गया। साधना को आचार्यों ने तीन भागों में विभाजित किया है - 1. भौतिक साधना, 2. नैतिक साधना और 3. आध्यात्मिक साधना । भौतिक साधना के अन्तर्गत वे सब वस्तुएँ आती हैं, जो शरीर संरचना से लेकर संरक्षण तक जुड़ी हैं। इसमें शरीर-शुद्धि, शरीर की आवश्यकता एवं उपभोग की वस्तु की प्राप्ति के लिये किया गया प्रयास भी सम्मिलित है। नैतिक साधना का क्षेत्र व्यक्ति से बढ़कर समाज तक जाता है। सामाजिक दायित्वों का निर्वाह एवं मर्यादाओं के पालन में प्रयोग होने वाले व्रत, मैत्री आदि भावना, परस्पर उपग्रह नैतिक साधना के अंग हैं। आध्यात्मिक साधना में व्यक्ति शरीर एवं सामाजिक मर्यादाओं से ऊपर उठकर आत्मस्वरूप की उपलब्धि को अपना लक्ष्य बना लेता है। वह आसन, प्राणायाम, ध्यान आदि का प्रयोग इसी क्षेत्र का विषय है। आध्यात्मिक साधना को प्रायः सभी धर्मों और दार्शनिक सम्प्रदायों ने महत्त्व दिया है। अपने-अपने दृष्टिकोण एवं सरणि के अनुसार ज्ञान, जगत् से विराग, आत्मस्वरूप में विलय अथवा प्राप्ति हेतु विभिन्न साधना मार्ग सुझाये। मैत्रायणी उपनिषद् में साधना की इस पद्धति को योग नाम देते हुये उसके छ: अंगों का तुलसी प्रज्ञा अप्रैल-सितम्बर, 2002 - 47 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524611
Book TitleTulsi Prajna 2002 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShanta Jain, Jagatram Bhattacharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2002
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size6 MB
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