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अवसाद और आत्म-हत्या के मामलों में वृद्धि तथा मद्य एवं अन्य नशीले पदार्थों के सेवन में बेतहाशा वृद्धि हो रही है।
सामाजिक पृथक्करण के कारण बच्चों के प्रति दुर्व्यवहार एवं प्रतिरोधी हिंसा में भी वृद्धि अंकित की जा रही है। पीड़ित व्यक्ति निरन्तर आत्म-सम्मान की कमी के साथ अवसादग्रस्त होकर संज्ञा-शून्य हो जाते हैं। अशांति से उपजे तनाव, अवसाद आदि मानसिक स्वास्थ्य के साथ शारीरिक स्वास्थ्य पर भी गम्भीर प्रभाव डालते हैं। जिन परिवारों में स्त्रियों के प्रति दुर्व्यवहार अथवा उन्हें प्रताड़ित करने का व्यवहार अधिक है, वहां वे महिलएं गंभीर मनोवैज्ञानिक व्यथा की शिकायत भी करती हैं। ऐसी महिलाएं या तो संवेदनहीन हो जाती हैं या फिर प्रतिक्रिया स्वरूप पुरुषप्रधान समाज पर विजय पाने की कोशिश करती हैं। पारिवारिक अशांति, घरेलू हिंसा एवं अन्य सामाजिक समस्याओं के निराकरण हेतु हमारे प्रयत्न समस्या के सामाजिक स्वरूप की जांच कर पीड़ित के सामाजिक स्तर और उसके शक्ति संवर्द्धन के लिए तो होने ही चाहिए, साथ ही सदस्यों के मेल-मिलाप एवं परस्पर सहिष्णु बनाने की दृष्टि से अनेकान्त आधारित प्रयोग भी आवश्यक है। पारिवारिक अशांति के सिद्धान्त
पारिवारिक अशांति के सिद्धान्तों को मुख्यतः तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है1. व्यक्ति केन्द्रित सिद्धान्त 2. परिवार केन्द्रित सिद्धान्त 3. समाज शास्त्रीय सिद्धान्त।
व्यक्ति केन्द्रित सिद्धान्त यह स्पष्ट करता है कि कैसे प्रताड़क और पीड़ित की व्यक्तित्व विशेषता पारिवारिक अशांति को बढ़ावा देती हैं। यद्यपि व्यक्तित्व की ऐसी मनोवैज्ञानिक विशेषताओं को सर्वसम्मत रूप से उद्घाटित नहीं किया जा सका है। मूलतः पारिवारिक अशांति की जड़ें जैविक भिन्नताओं, व्यक्तित्व विशेषताओं एवं अतीत काल के अनुभवों में छिपी होती हैं। उदाहरणतः कुछ व्यक्ति बचपन के अनुभवों के आधार पर हिंसा के प्रति दीर्घकालिक आकर्षण पैदा कर लेते हैं, जबकि कुछ व्यक्ति आत्म-नियंत्रण एवं आत्म-विश्वास की कमी की भावना से ग्रस्त होने के कारण तथा कुछ व्यक्ति शक्तिहीन होने के कारण दुर्व्यवहार एवं हिंसा का सहारा लेते हैं। अध्ययन के अनुसार अवसाद, खंडित मानसिकता आदि असामान्य व्यवहार हिंसा एवं दुर्व्यवहार की क्षमता को बढ़ा देते हैं। कुछ अध्ययन टेस्टोस्टेरोन एवं किशोरों की हिंसक क्रियाओं के बीच घनिष्ठ संबंध दर्शाते हैं । मेरे निष्कर्षानुसार पीड़ित व्यक्ति की व्यक्तित्व विशेषताएं जैसे- भय, संबंधों को तोड़ना, हिंसक प्रतिक्रिया आदि भी पारिवारिक अशांति के लिए जिम्मेवार होती हैं।
परिवार केन्द्रित सिद्धान्त के अनुसार जैसा कि अध्ययन का निष्कर्ष भी है; योग्यता एवं रुचि को ध्यान में रखे बिना आयु एवं लिंग के आधार पर जिम्मेदारियों को बांट देना तुलसी प्रज्ञा जुलाई-दिसम्बर, 2001
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