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रखना इनके रक्षण का एक बहुत ही सामान्य तरीका है। इस पके खाद्य पदार्थ को यदि किसी ठण्डे स्थान, जैसे फ्रिज आदि में रख दिया जाय तो इसे और अधिक लम्बे समय तक सुरक्षित बनाये रखा जा सकता है। कम पकाने पर सूक्ष्म जीव मर जाते हैं तथा ठण्डे स्थान में रखने पर इनकी वृद्धि जल्दी से नहीं होती है।
खाद्य पदार्थों को अधिक तेल में डुबोकर रखने से इन्हें खराब होने से बचाया जा सकता है। अचार आदि को इसी प्रकार से सुरक्षित रखा जाता है। गेहूँ को सुरक्षित बनाये रखने के लिए भी तेल का प्रयोग किया जाता है। ऐसा करने से हवा में उपस्थित बैक्टेरिया आदि सूक्ष्म जीव खाद्य पदार्थ के सम्पर्क में नहीं आ पाते हैं तथा वह सुरक्षित रह जाता है। गेहूँ को नीम आदि की पत्तियों के साथ रखने से भी सुरक्षित रखा जा सकता है। नीम के पत्तों की उपस्थिति भी इन सूक्ष्म जीवों की वहां वृद्धि नहीं होने देती हैं।
बन्द डिब्बों में सामान को रखने से भी इन्हें अधिक समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है। बन्द डिब्बे सूक्ष्म जीवों का सम्पर्क खाद्य पदार्थों से नहीं होने देते हैं। सूखा मेवा, मसाले तथा दूध आदि को बन्द पैकेट में इसीलिए रखा जाता है। खेती के बीजों को बन्द डिब्बों में रखा जाता है। वस्तुतः बन्द डिब्बे सूक्ष्म-जीवों की उपस्थिति को पूर्ण रूप से समाप्त तो नहीं कर पाते हैं, लेकिन वे उनकी वृद्धि को अवश्य ही सीमित कर देते हैं। बन्द डिब्बों में भी थोड़ी बहत ऑक्सीजन तो होती है ही, वह सूक्ष्म जीवों को जीवित बनाये रखती है। नहीं तो कम से कम वहाँ सूक्ष्म जीवों के स्योर तो पैदा हो ही जाते है। अतः समय-समय पर इन डिब्बों को भी खाली करके साफ कर लेना चाहिए।
. खाद्य-पदार्थों को सुरक्षित बनाये रखने के लिए कुछ प्रिजर्वेटिव (रसायन) भी प्रयोग में लाये जाते हैं। इनकी उपस्थिति सूक्ष्म-जीवों की वृद्धि को रोकती है। खाद्य अम्ल तथा नमक बहत ही आम प्रिजर्वेटिव्स हैं। अम्ल उन एन्जाइम को निष्क्रिय बना देते हैं जो खाद्य पदार्थों को खराब कर देते हैं तथा नमक खाद्य पदार्थों में उपस्थित नमी का अवशोषण कर लेता है। इसीलिए मुरब्बे तथा शीत पेय बनाने में कुछ अम्लों जैसे-सोडियम बैंजोनेट या सोडियम मेटा सल्फेट को मिला दिया जाता है तथा पिसे ये मसालों में नमक मिला दिया जाता है और अधिक बचाव करने के लिए इन्हें रेफ्रीजरेटर्स में रख दिया जाता है।
. सूक्ष्म जीव न सिर्फ खाद्य-पदार्थों को खराब करते हैं, बल्कि अखाद्य-पदार्थों को भी नुकसान पहुंचाते हैं। उदाहरण के तौर पर बरसात के दिनों में किताबें तथा गर्म कपड़े खराब हो जाते हैं। इसीलिए आमतौर पर इन्हें धूप में रख दिया जाता है। (5.6) दूध का पास्चीकरण
प्रायः जो दूध बड़े शहरों में वितरित किया जाता है उसे पहले पास्चीकृत कर लिया जाता है। ऐसा करने से दूध अधिक समय तक सुरक्षित बना रहता है। पास्चीकरण की प्रक्रिया में पहले दूध को लगभग 15 सैकेण्ड तक 70 डिग्री सैल्सियस ताप पर गर्म किया व
तुलसी प्रज्ञा जनवरी-जून, 2001 AM
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