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मेरा तो स्वरूप ऐसा इसमें संशय क्या !
(20) मैं समस्त वेदान्त द्वारा जाना गया ब्रह्मा ही हूँ मैं आकाश, वायु आदि वस्तु नहीं हूं मैं रूप नहीं हूँ, नाम नहीं हूँ, कर्म नहीं हूँ वरन केवल सच्चिदानंद स्वरूप ब्रह्म ही हूं
जन्म-मरण कहां से हो? मैं प्राण नहीं हूँ तो फिर मुझे भूख-प्यास कैसे लगे? मैं मन नहीं हूँ तो फिर मुझे शोक-मोह किसका हो? मैं कर्ता नहीं हूँ तो फिर मेरा बंधन व मोक्ष कैसा? इति यह संवाद ! यह उपनिषद् !!
(21) मैं देह नहीं हूँ तो फिर मुझे
3, विश्वविद्यालय मार्ग जोधपुर (राजस्थान)
Marnamaina
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3 तुलसी प्रज्ञा अंक 110
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