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प्रतिनिधि नहीं है तो सरकार मानव अधिकारों के हनन के लिए तब तक उत्तरदायी नहीं है जब तक कि उन्होंने इस प्रकार के कार्य करने वाले समूहों को रोकने में लापरवाही न बरती हो।
____ आपातकाल के समय अधिकारों को सीमित करने का अधिकार कई अन्य प्रकार से भी सीमित है। प्रथमतः यह तभी किया जा सकता है जब राष्ट्र के अस्तित्व पर गंभीर संकट हो। इस तरह का संकट, जिसके कारण अधिकार सीमित किये जाते हैं, स्पष्ट परिलक्षित होना चाहिए तथा संकटकाल में उठाये गये कदम भी अत्यन्त आवश्यक प्रतीत होने चाहिए अन्यथा यह मानवाधिकारों का हनन ही होगा।
द्वितीय, समानता के सिद्धान्त का सम्मान होना चाहिए। यदि समानता के सिद्धान्त का कठोरता से पालन नहीं किया गया तो व्यापक दमन अनावश्यक अवरोध को जन्म देगा।
तृतीय, सम्पूर्ण आपातकाल में भेदभाव रहित व्यवहार के सिद्धान्त का भी सम्मान होना चाहिए। अधिकारों में कमी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से भेद-भावपूर्ण न हो। यदि सरकार उन कथन करने से रोकती है जो उन सबके विरूद्ध कार्यवाही अपेक्षित है जो ऐसा करते हैं, भले ही वे सरकार के पक्ष के लोग हों या अन्य पक्ष के।
चतुर्थ, अधिकारों में कमी तथा ऐसे सभी प्रतिबंध जो इसके अन्तर्गत उठाये गये हैं मात्र सामान्य स्थिति की बहाली तक ही सीमित होने चाहिए तथा मानव अधिकारों के सम्मान हेतु इन्हें जितना शीघ्र संभव हो समाप्त कर दिया जाना चाहिए।
___ मानवाधिकार कानून संग्राम की स्थितियों में सीधे रूप से व्यवहार नहीं करता। ऐसी स्थिति में सामान्य प्रावधान व्यवहार्य होते हैं। जैसे राज्य जीवन के अधिकार के सम्मान तथा क्रूर व अमानवीय व्यवहार से मुक्ति के लिए बाध्य है। यहां यह समस्या आती है, जब सत्ता को ही चुनौती दे दी जाती है (जैसे राजविद्रोह या सैनिक हस्तक्षेप) तब ये प्रावधान कैसे व्यवहार्य होंगे?
नागरिक और राजनैतिक अधिकारों पर अन्तरराष्ट्रीय समझौते की धारा 6 जो जीवन के अधिकार से सम्बन्धित है, इस मुद्दे पर मौन है। मानवाधिकारों पर यूरोपियन कन्वेन्शन की धारा 2 के अनुसार जीवन की हानि उस समय विचारणीय नहीं है जब यह अत्यावश्यक शक्ति के प्रयोग के कारण हुई हो। जैसे उपद्रव या राजद्रोह के दमन के लिए की जा रही कार्यवाही।
निःसन्देह मानव अधिकार कानून के समक्ष एक गम्भीर समस्या है-किन परिस्थितियों में ऐसी शक्ति का प्रयोग आवश्यक है? अहिंसक प्रदर्शन और दंगे के बीच विभाजक रेखा क्या है? यहां तक कि दंगे में भी किसी को मारने का अधिकार नहीं है। यह कब अनिवार्य
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LITTWITTIANTIVITIATIV तुलसी प्रज्ञा अंक 109
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